
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को यानी आज समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. सेम सेक्स मैरिज की मांग कर रहे चार याचिकाकर्ताओं में से एक उदयराज आनंद भी हैं. 17 साल से अपने पार्टनर पार्थ मेहरोत्रा के साथ रह रहे इस कपल के दो बच्चे भी हैं. उदयराज लंबे समय से समान लैंगिक विवाह का मुद्दा उठा रहे हैं. aajtak.in से बातचीत में उदयराज ने बताया कि क्यों सेम सेक्स मैरिज इंसान के मूल अधिकार का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि इस मामले में हमारे पक्ष में फैसला आने पर बहुत-सी ऐसी समस्याएं हल होंगी जिससे सेम सेक्स कपल वर्तमान में जूझ रहे हैं. जानिए- वो क्या हैं.
उदयराज कहते हैं कि सेम सेक्स मैरिज को हम फंडामेंटल राइट्स के मुद्दे के तौर पर देखते हैं. ये हम जैसे लोगों के लिए हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और आम लोगों में स्वीकारोक्ति को बढ़ाएगा. मैं अपने पार्टनर के साथ लंबे समय से रह रहा हूं, मैं लकी हूं कि लोग सपोर्टिंग हैं. लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी सही पहचान के साथ रह भी नहीं सकते. इसको बहुत संवेदनशीलता से सोचने की जरूरत है.
सम्मान से जीने का हक मिलेगा
आप सोचकर देखिए. अगर हमसे हमारे आसपास के लोग अच्छे से मिलते हैं. हमें कपल समझते हैं. हमें अपनाते हैं तो हम उनके शुक्रगुजार होते हैं. क्या सोसायटी में सभी के साथ ऐसा होता है. लोग जोड़े के तौर पर साथ रहते हैं क्योंकि कानूनी तौर पर उनका साथ रहना जायज माना जाता है. वो स्वीकारोक्ति के साथ एक दूसरे के साथ रहते हैं. लेकिन सेम सेक्स वाले समाज से अच्छे व्यवहार और अपनाए जाने की उम्मीद करते हैं. अब अगर सेम सेक्स वालों को कानूनी तौर पर कपल बनकर रहने की आजादी होगी तो उन्हें हर बात पर सबका आभारी नहीं होना पड़ेगा.
मिलेंगे ये भी फायदे
इसके अलावा कपल के तौर पर मिलने वाली सभी सुविधाएं जैसे मेडिकल कंसेंट, हमारे पार्टनर्स को प्रॉपर्टी राइट्स, चाइल्ड एडॉप्शन, इंश्योरेंस सहित वो सुविधाएं मिल सकेंगी जो एक आम कपल को मिलती हैं. अगर एक कपल में से कोई एक बीमार होता है तो अभी दूसरा उसके लिए मेडिकली कोई फैसला नहीं ले सकता. उसके लिए परिवार की जरूरत होती है. अगर परिवार सर्पोटिव है तो ठीक वरना आपके लिए बड़ी दिक्कत होती है.
अभी 377 खत्म होने के बाद भी हमारे हक की लड़ाई खत्म नहीं हुई है, हमें समाज में कानूनी तौर पर एक वैवाहिक जोड़े के तौर पर रहने की आजादी नहीं है, जबकि दूसरे कई देशों में इसे कानूनी मान्यता मिली हुई है. अब सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद हमें एक गौरवपूर्ण जीवन साथ बिताने की आजादी मिल सकती है जिसके लिए हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं.