
एनडीपीएस मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दस हजार रुपए जुर्माना लगाया है. भट्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें ड्रग्स प्लांटिंग के एक मामले में 31 मार्च तक ट्रायल पूरा करने की अंतिम तारीख दी गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अरविंद कुमार ने भट्ट की याचिका को तुच्छ बताते हुए दस हजार रुपए जुर्माने के साथ खारिज कर दिया.
पीठ ने जुर्माने की रकम गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का आदेश दिया है. जबकि इस मामले में सुनवाई की रफ्तार इतनी धीमी है कि अब तक 60 में से सिर्फ 16 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं. जज ने खुद छह महीने और लगने की बात कही है. सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने गुजरात सरकार की ओर से कहा कि वो ऑर्डर अक्टूबर 2021 में दिए गए आदेश का ही विस्तार था.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को फटकार लगाई थी. भट्ट ने हिरासत में हुई मुलजिम की मौत के दोष में दी गई उम्रकैद की सजा पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई से जस्टिस शाह के अलग हो जाने की अपील की थी. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई थी. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार ने कोर्ट को चिट्ठी लिखने वाले संजीव भट्ट की खिंचाई करते हुए कहा था कि उनका बर्ताव कोर्ट की गरिमा के अनुरूप नहीं है.
भट्ट ने नवंबर में अपने वकील के जरिए पीठ के पास इसको लेकर चिट्ठी भेजी थी. भट्ट 1990 में जब गुजरात में जामनगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे तो उन्होंने एक मुलजिम को हिरासत में लिया था, जिसकी हिरासत में मौत हो गई. इसी अपराध में कोर्ट ने भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट की जिस पीठ ने उम्रकैद की सजा सुनाई उसमें जस्टिस एमआर शाह थे.