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दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया है. कोर्ट ने उनकी राहत की मांग वाली याचिकाओं को खारिज किया था और कल ही सरेंडर करने का आदेश दिया था. आदेश के मुताबिक, उन्होंने सोमवार को ही सरेंडर कर दिया. उन्हें जेल नंबर 7 में रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने जमानत रद्द करने वाले आदेश में कहा कि ईडी के पास पर्याप्त सामग्री है जो सत्येंद्र जैन पर लगे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप सिद्ध कर सकती है. जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी को अगुआई वाली पीठ ने कहा कि सत्येन्द्र जैन अदालत को संतुष्ट करने में विफल रहे हैं कि वह कथित अपराधों के लिए दोषी नहीं हैं.
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'हाई कोर्ट के फैसले में कोई कमी नहीं'
कोर्ट ने कहा कि, इसके विपरीत, ED के पास पर्याप्त सामग्री है कि वे कथित अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया दोषी हैं. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें प्रथम दृष्टया PMLA के तहत कथित अपराधों का दोषी पाया है. हाई कोर्ट के निर्णय में किसी भी तरीके से कोई कमी नहीं दिखती.
'PMLA के तहत अपराध में संलिप्तता'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सत्येन्द्र जैन की संलिप्तता PMLA के तहत कथित अपराधों में है. जो कंपनियां बनाई गई थी इन कंपनियों का नियंत्रण और स्वामित्व उनके और उनके परिवार के पास था. हालांकि यह सच है कि एक कंपनी अपने शेयरधारकों और निदेशकों द्वारा अवैध तरीके से काम किया गया.
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'सत्येंद्र जैन कंपनी को कर रहे थे नियंत्रित'
जिस तरीके से इस मामले में काम किया गया है वह अवैध गतिविधियों को अंजाम देने जैसा है. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि हालांकि, संबंधित चारों कंपनियों के शेयर लेने का पैटर्न काफी जटिल है लेकिन ये दिखता है कि सत्येन्द्र जैन अपने परिवार के माध्यम से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उक्त कंपनियों को नियंत्रित कर रहे थे. कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए की धारा 2(1) (एफए) की परिभाषा के तहत सत्येन्द्र जैन "बेनिफिशियल ओनर" थे.