
सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा ने बुधवार को कहा कि वह भारत के लोकतंत्र और संविधान को सलाम करते हैं. नई दिल्ली में इस्लामिक कल्चर सेंटर के इवेंट में उन्होंने भारतीय दर्शन और परंपरा की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि मैं दिल की गहराइयों से हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के संविधान को तहे दिल से सलाम करता हूं.
सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री अब्दुलकरीम अल-ईसा पांच दिवसीय भारत दौरे पर हैं. वर्तमान में वह सऊदी अरब स्थित संगठन मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव हैं और दुनियाभर में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
भारत के संविधान को सलाम करता हूंः अल-ईसा
अल-ईसा बुधवार को ग्लोबल फाउंडेशन फॉर सिविलाइजेशन हार्मनी (इंडिया) के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम 'धर्मों के बीच सद्भाव के लिए संवाद' (Dialogue for Harmony among Religions) को संबोधित कर रहे थे. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे बौद्धिक और आध्यात्मिक नेताओं से मिलकर खुशी हुई.
अपने संबोधन में भारतीय दर्शन और परंपरा पर टिप्पणी करते हुए अल ईसा ने कहा, "मैं दिल की गहराइयों से हिंदुस्तान, हिंदुस्तानी लोकतंत्र और हिंदुस्तान के संविधान को तहे दिल से सलाम करता हूं. मैं हिंदुस्तान के उस दर्शन और परंपरा को भी सलाम करता हूं जिसने पूरी दुनिया को सद्भाव का संदेश दिया है.
"मैं अपने फ्रेंडली नेशन इंडिया में अपनी इस उपस्थिति पर खुशी जाहिर करता हूं. खास तौर पर यहां की राजनीतिक और आध्यात्मिक नेताओं से मेरी जो मुलाकातें हुई हैं, उन मुलाकातों का जो परिणाम होगा वह बेहतर होने की उम्मीद है."
#WATCH | I salute Indian democracy from the bottom of my heart. I salute the Constitution of India. I also salute the Indian philosophy and tradition that taught harmony to the world: Dr Mohammed bin Abdulkarim Al-Issa, Secretary General, Muslim World League, in Delhi pic.twitter.com/YHp7QaEsLx
अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन की जरूरत
मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने धार्मिक नेताओं को 'पीस ऑफ एडवाइस' जारी करते हुए कहा कि अगली पीढ़ी को सुरक्षा और मार्गदर्शन की जरूरत है. जब दो लोगों के बीच संवाद की कमी होती है, तो गलतफहमियां और समस्याएं पैदा होती हैं. इसलिए यह जरूरी है कि बातचीत का एक जरिया बनाया जाए. लंबे समय से चले आ रहे टकराव को रोकने के लिए हमें अगली पीढ़ी को बचपन से ही सुरक्षित रखने और मार्गदर्शन देने की जरूरत है.
दरअसल, एक दिन पहले ही इसी इवेंट के एक संबोधन में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा था कि आतंकवाद किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है. उन्हें गुमराह कर दिया जाता है. वह व्यक्ति किसी भी धर्म, विश्वास या राजनीतिक विचारधारा से संबंधित हो सकता है. ऐसे में आध्यात्मिक और धार्मिक नेताओं का कर्तव्य है कि वह उन लोगों का प्रभावी तरीके से मुकाबला करें जिन्होंने हिंसा का रास्ता चुना है.
आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर कटाक्ष
इस्लामिक स्कॉलर अल-ईसा ने अपने संबोधन में लोगों से सभ्यताओं के टकराव और धार्मिक घृणा को लेकर जारी नैरेटिव के खिलाफ भी खड़े होने की अपील की. उन्होंने कहा कि हमें धार्मिक संघर्ष के खिलाफ खड़ा होना चाहिए. ताकि कट्टरवाद फिर से उभर न सके.
आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, " गलतफहमी, हेट थ्योरी और गलत धारणा लोगों को कट्टरवाद से आतंकवाद की ओर ले जा रहा है. सत्ता पर काबिज होने के लिए कई नेताओं ने हेट नैरेटिव्स का खूब इस्तेमाल किया है ताकि लोगों पर उनका नियंत्रण बना रहे. कुछ संगठन हैं जो गलत विचारों को बढ़ावा दे रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा कि जब मैंने यहां (भारत) के धार्मिक नेताओं को देखा और उनसे मुलाकात की तो उन्होंने मुझे एक अलग तस्वीर दिखाई. यहां के धार्मिक नेता शांतिपूर्ण और सह-अस्तित्व की बात करते हैं.
अल ईसा ने आगे कहा, "आज धार्मिक नेता समझदारी को बढ़ावा देने के लिए काम नहीं कर रहे हैं. भारत के जितने भी धार्मिक नेताओं से मिला हूं. कुछ संगठनों को छोड़कर सभी ने अपना प्रभुत्व जमाने के बजाय शांति और सहिष्णुता की बात की.
अक्षरधाम मंदिर जा सकते हैं अल ईसा
रिपोर्ट के मुताबिक, अल ईसा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी से भी मुलाकात कर सकते हैं. इससे पहले उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. वहीं, सूत्रों के अनुसार, अल-ईसा दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर भी जा सकते हैं. जहां वह कुछ प्रमुख हस्तियों से मुलाकात करेंगे.