
वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीएन किरपाल के बेटे सौरभ किरपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने का मामला अब सुर्खियों में आ गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की राय पूछी थी. बता दें कि सौरभ किरपाल ने घोषित रूप से खुद को समलैंगिक बता रखा है. उनके पार्टनर विदेशी हैं. लिहाजा दिल्ली हाई कोर्ट के जज के रूप में उनकी नियुक्ति को लेकर कई पेच हैं.
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने केंद्र सरकार से इस नियुक्ति के बाबत उसकी राय पूछी थी. केंद्र सरकार ने वरिष्ठ वकील सौरभ किरपाल की प्रस्तावित नियुक्ति को लेकर अपनी राय दी है.
सूत्रों के अनुसार देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को केंद्र की राय मिल गई है. सूत्रों के अनुसार केंद्र ने अपनी राय में आशंका जाहिर की है. सौरभ किरपाल खुद को घोषित रूप से समलैंगिक बताते हैं और उनके पार्टनर विदेशी हैं. सूत्रों के अनुसार केंद्र ने कहा है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के अंदर केंद्र से इस प्रस्तावित नियुक्ति पर उसकी राय मांगी थी.
केंद्र की राय मिलने के बाद अब ये जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम पर निर्भर है कि वो सौरभ किरपाल के नाम की सिफारिश आधिकारिक रूप से करती है या नहीं.
बता दें कि पिछले तीन सालों में सौरभ किरपाल कई बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठकों में चर्चित हुए. सबसे पहले 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट की तत्कालीन चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अगुआई में कॉलेजियम ने सौरभ किरपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी. करीब साल भर बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने किरपाल पर चर्चा तो की लेकिन सिफारिश करने का फैसला टाल दिया. फिर करीब साल भर बाद जनवरी और अप्रैल में हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में ये मामला टलता ही रहा. पिछले साल मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट के सभी 31 जजों के फुलकोर्ट सत्र में सौरभ किरपाल को सीनियर वकील घोषित कर दिया गया.
पिछले महीने मौजूदा सीजेआई जस्टिस बोबडे ने न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद को चिट्ठी लिखकर बताया था कि खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक भी सौरभ किरपाल की नियुक्ति को लेकर कोई हर्ज नहीं है.
सरकार को सौरभ के मामले में अरसे से मुख्य आपत्ति यही है कि उनका पार्टनर यूरोपीय मूल का है और स्विस दूतावास में कार्यरत है. पहले वो रेडक्रॉस में भी काम कर चुका है. साथ ही सरकार की अघोषित परेशानी या दिक्कत सौरभ के समलैंगिक होने को लेकर भी है.
वैसे कायदे से हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश से होती है. राज्य सरकार की ओर से खुफिया जांच रिपोर्ट के साथ वो सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के कॉलेजियम के पास पहुंचती है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उस सिफारिशों पर विचार कर केंद्र सरकार को भेजता है.
सरकार को किसी नाम पर आपत्ति हो तो वो वजह बताते हुए कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के आग्रह के साथ भेज सकती है. लेकिन अगर दोबारा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उसे सरकार के पास भेजता है तो सरकार के पास नियुक्ति वारंट के लिए राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजनी होती है.