
चुनावी बॉन्ड की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. एसबीआई को 6 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना था, ये इस समय अवधि में नहीं हो सका. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हरेक जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश फैसले में दिया था. इसके लिए छह मार्च की अवधि तय की गई थी.
इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में याचिकाकर्ता ADR ने अवमानना याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है. प्रशांत भूषण ने SC में चुनावी बांड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ये सीधे तौर पर अवमानना का मामला है. दूसरी ओर SBI ने समय बढ़ाने की अर्जी भी दी है. उस पर 11 मार्च को सुनवाई होनी है. हमारी अवमानना याचिका को भी उसके साथ साथ ही सुना जाए. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो सारी प्रक्रिया पूरी करें. यानी अर्जी ईमेल करें फिर विचार करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने चुनावी बॉन्ड योजना को 'असंवैधानिक' करार देते हुए राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी साझा करने का निर्देश दिया था. इसके लिए कोर्ट ने छह मार्च 2024 तक का समय बैंक को दिया था. लेकिन एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर अनुरोध किया है कि उन्हें इसके लिए 30 जून तक का समय दिया जाए.
बता दें कि, अदालत ने 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया था, लेकिन अब एसबीआई ने कहा है कि वह अदालत के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहता है. हालांकि, डेटा को डिकोड करना और इसके लिए तय की गई समय सीमा के साथ कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की पहचान छुपाने के लिए कड़े उपायों का पालन किया गया है. अब इसके डोनर और उन्होंने कितने का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा है, इस जानकारी का मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया है.