
रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ कि सुनवाई पूरी होने के बाद रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर अदालत सुनवाई करेगी। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तत्काल सुनवाई की गुहार लगाते हुए कहा कि रामसेतु मामले में स्थितियां फाइनल स्टेज पर हैं। इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है. जवाब में पीठ ने कहा कि संविधान पीठ में सुनवाई के बाद अदालत मामले पर सुनवाई करेगी।
हालांकि मेंशनिंग के दौरान जब CJI ने कहा कि वह संविधान पीठ के बाद इस मामले की सुनवाई करेंगे तो याचिकाकर्ता स्वामी ने कहा आप मास्टर ऑफ रोस्टर हैं, आप कुछ भी कर सकते है. CJI ने स्वामी को टोकते हुए कहा- आप ऐसा नहीं कह सकते, हमारे सामने हर एक मामला महत्वपूर्ण है और वह लाइफ प्रोडक्ट से जुड़ा हुआ है.
क्या है ये पूरा मामला?
बता दें कि डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कई साल पहले रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने के लिए याचिका दायर की गई थी. पिछले महीनों याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कई बार कई CJI से इस मामले की जल्द सुनवाई करने की मांग की थी. कई बार कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन अबतक केंद्र सरकार की ओर से कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया है.
केंद्र सरकार का मामले पर क्या रुख?
हालांकि मोदी सरकार रामसेतु मामले पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है, लिहाजा इसे न तोड़ा जाए. साथ ही रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए.