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जजों की नियुक्ति कौन करेगा, इसको लेकर खींचतान है, सरकार और कॉलेजियम के बीच. मौजूदा जो व्यवस्था है, इसमें गेंद ज्यूडिशियरी के पाले में है. कॉलेजियम आप जानते ही हैं, एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति या तबादले होते हैं. कॉलेजियम में चीफ जस्टिस और उनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मोस्ट जजेज होते हैं. उसने कल सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनाने के लिए एक बार फिर केंद्र से सिफारिश की. फिर से इसलिए क्योंकि पिछले पांच बरस से उनकी नियुक्ति रुकी हुई है. और पहले भी उनके नाम को आगे भेजा जा चुका है. पहले 13 अक्टूबर 2017 को दिल्ली हाईकोर्ट ने रिकमेंड किया था, बाद में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 11 नवंबर 2021 को इस सिफारिश पर अपनी मुहर लगाकर सरकार के पास भेजा था.
ये नाम इसलिए अहम है क्योंकि अगर सरकार इस सिफारिश पर अमल करती है तो सौरभ कृपाल भारत के ज्यूडिशियल हिस्ट्री में पहले ओपनली गे जज होंगे. और यही बात भी उनकी एपॉइंटमेंट की राह में रोड़ा बन रही है. ऐसे में, सुप्रीम कोर्ट ने इस बार अपनी तरफ से कड़ा रुख अपनाया है. दो टूक कहा है केंद्र से कि किसी की सेक्सुअल ओरिएंटेशन को आधार बनाकर उसे प्रमोट करने से नहीं रोका जा सकता. क्या कहा कल कोर्ट ने फिर एक बार सिफारिश करते हुए और क्यों जो कल कोर्ट का अप्रोच था, वो इतना सख्त था और क्यों सरकार और केंद्र के बीच ये खींचतान है? सुनने के लिए 'आज का दिन' में क्लिक करें.
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सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुआ कहा था कि भारत में सभी महिलाओं को सुरक्षित और कानूनी गर्भपात का अधिकार है, चाहे वह शादीशुदा हो या अनमैरिड यानी अविवाहित. किसी महिला की वैवाहित स्थिति को आधार बनाकार उसे अबॉर्शन से वंचित नहीं रखा जा सकता है. इस फैसले में कोर्ट ने 24 हफ्ते की गर्भवती अविवाहित लड़की को अबॉर्शन की परमिशन दी थी. एक महिला ने 29वें सप्ताह में एबॉर्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कल इस मामले में सीजेआई ने कहा कि पिटीशनर ने जो कानून के कुछ मुद्दे उठाए हैं, उन्हें सही समय पर सुना जाएगा. अभी फिलहाल कोर्ट ने ये निर्देश दे दिया है कि याचिकाकर्ता आज एम्स में डॉक्टरों की एक टीम से जांच करा सकती हैं. ताकि ये पता चल सके कि 29 हफ्ते के बाद प्रेगनेंसी अबॉर्ट कराना सही महिला के लिए सेफ है या नहीं. सवाल है कि कोर्ट ये जिस तरफ़ बढ़ रहा है, इस केस का मेरिट क्या है और अबॉर्शन को लेकर जो लीगल राइट हैं हमारे यहां, क्या उसमें भी किसी तरह के रिव्यू की ज़रूरत है? सुनने के लिए 'आज का दिन' में क्लिक करें.
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अब हॉकी मेंस वर्ल्ड कप की बात. जब इसकी शुरुआत हुई थी, उसी दिन हमने बताया था कि चूंकि भारत की मेज़बानी है, भारतीय टीम के खिलाड़ी भी एक दमदार स्क्वाड के साथ उतरी है तो भारत को हमें करीब से देखना चाहिए. और कल इस कड़ी में ग्रुप-डी के आखिरी मुकाबले में टीम इंडिया ने वेल्स को 4-2 से मात दी. भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में ये मुकाबला हुआ. भारतीय टीम की जीत में आकाशदीप सिंह का अहम रोल रहा, जिन्होंने अपनी टीम के लिए दो गोल दागे. इसके अलावा शमशेर सिंह और कप्तान हरमप्रीत सिंह ने एक गोल दागा. लेकिन बात इतनी नहीं, मैच की शुरूआत से पहले जो जीत बेहद आसान मानी जा रही थी, उसके लिए भारत को ठीक ठाक मशक्कत करनी पड़ी, क्यों ऐसा हुआ, ओवरऑल कल के मैच का लब्बोलुआब क्या रहा, क्वार्टर फाइनल के हिसाब से अब आगे भारत की क्या राह होगी? सुनने के लिए 'आज का दिन' में क्लिक करें.