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महिला कोस्ट गार्ड अधिकरियों द्वारा स्थायी कमीशन को लेकर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. महिलाओं की याचिका पर कोर्ट ने सख्ते लहजे में कहा, "अगर आप नहीं करेंगे, तो हम कर देंगे."
महिला अधिकारियों ने कोस्ट गार्ड में स्थायी कमिशन की मांग के साथ याचिका दायर की थी. इस मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. बेंच ने कहा, "महिलाओं को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता, अगर आप ये नहीं करेंगे तो हम कर देंगे."
सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, "सभी तरह की प्रक्रियाएं और बहसों का 2024 में कोई मतलब नहीं बनता, इसलिए आप मसले पर गौर करें. अगर आप नहीं कर सकते तो हम करेंगे." याचिका कोस्ट गार्ड में महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी ने दायर की थी.
1 मार्च को होगी कोर्ट में अगली सुनवाई
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बेंच को बताया कोस्ट गार्ड यानी तटरक्षक बल सेना और नौसेना से थोड़ा अलग काम करता है. बोर्ड का गठन किया गया है और इसमें स्ट्रक्चरल यानी संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है जो चल रहा है. अदालत ने अब केंद्र से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और सुनवाई 1 मार्च के लिए तय की है.
'आप बहुत नारी शक्ति की बात करते हैं....'
सुनवाई की पिछली तारीख पर, अदालत ने केंद्र पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था, "आप नारी शक्ति, की बात करते हैं, अब इसे यहां दिखाएं. आप यहां समुद्र के गहरे अंत में हैं. मुझे नहीं लगता कि कोस्ट गार्ड्स कह सकते हैं कि वे ऐसा कर सकते हैं." जब सेना, नौसेना ने यह सब कर लिया है तो आप भी इस लाइन से हटें. आप सभी ने अब तक बबीता पुनिया का फैसला नहीं पढ़ा है."
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बबीता पुनिया के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारी पुरुषों के समान स्थायी कमीशन की हकदार हैं. कोर्ट ने यहां तक कहा था, "आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हैं कि आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड में नहीं देखना चाहते?" उन्होंने कहा था, "हम पूरे कैनवास को खोल देंगे, समय चला गया है जहां हम कहते थे कि महिलाएं तट रक्षक में नहीं हो सकतीं, महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं और वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं."