
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें महिलाओं से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया गया है. अदालत में दायर याचिका में दहेज निषेध अधिनियम, 1961, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005, और भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (महिलाओं के प्रति क्रूरता) जैसे प्रावधानों की समीक्षा करने की मांग की गई है.
कानूनों का दुरुपयोग होता है
न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय में रूपशी सिंह द्वारा दायर इस याचिका में इन कानूनों में निहित भेदभाव, प्रावधानों की अस्पष्टता और लैंगिक समानता की कमी को उजागर किया गया है. याचिकाकर्ता ने ये दलील दिया है कि इन कानूनों का अक्सर दुरुपयोग किया जाता है, जिससे निर्दोष पुरुषों और उनके परिवारों को मानसिक, सामाजिक और कानूनी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.
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पुरुषों की सुरक्षा की मांग
अदालत में दायर याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि दहेज निषेध अधिनियम, 1961 धर्म के आधार पर भेदभावपूर्ण है, जबकि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 पुरुषों के खिलाफ पक्षपाती प्रतीत होता है.
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साथी ही याचिकाकर्ता ने झूठी शिकायतों के आधार पर महिलाओं द्वारा किए जा रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ पुरुषों की सुरक्षा की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ द्वारा की जाएगी.