
राजस्थान में उम्रकैद की सजा पाए एक व्यक्ति की पत्नी ने राजस्थान हाई कोर्ट से गुहार लगाई कि उसे अपना परिवार बनाने के लिए बच्चा चाहिए. इसलिए उसके पति को कुछ दिन के लिए पैराल पर छोड़ दें. हाई कोर्ट ने इसके लिए रजामंदी भी दे दी, लेकिन राजस्थान सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. अब सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेगा.
इस महत्वपूर्ण मामले पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की खंडपीठ सोमवार को अहम सुनवाई करने जा रही है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वह मील का पत्थर होगा.
हाईकोर्ट ने कहा- इसमें महिला का क्या दोष?
दरअसल ये पूरा मामला राजस्थान का है. जहां उम्रकैद की सजा काट रहे 34 साल के एक व्यक्ति की पत्नी ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी. महिला ने अपनी याचिका में कहा था, 'मुझे परिवार बनाने के लिए बच्चा चाहिए. इसलिए पति को कुछ दिनों के लिए पैरोल पर छोड़ें.'
इस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका दायर करने वाली महिला निर्दोष है. उसे तो अदालत ने कोई दंड भी नहीं दिया है. ऐसे में उसे मातृत्व से वंचित न रखा जाए. वंश संरक्षण के उद्देश्य से विविध धार्मिक ग्रंथ, साथ ही न्यायिक निर्णयों में भी संतानोत्पत्ति को महत्व दिया गया है. विवाहित महिला की मां बनने की इच्छा है, तो यह इच्छा पूर्ण करना राज्य व्यवस्था का दायित्व है. संतान होने के चलते कैदी पर इसका सकारात्मक असर भी दिख सकता है. सजा पूरी कर बाहर आने के बाद वह मुख्यधारा में आसानी से सहभागी भी हो सकेगा.
राजस्थान सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
राजस्थान सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें इसी आधार पर उम्र कैद की सजा काट रहे एक व्यक्ति को 15 दिन के लिए रिहा किया गया था. अब देखना ये होगा कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है.