
Gujarat News: तापी जिले के व्यारा कस्बे की एक सेशन अदालत के जज ने गायों की रक्षा करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विज्ञान ने साबित कर दिया है कि गाय के गोबर से बने घरों पर हानिकारक परमाणु विकिरणों ( Nuclear Radiation) का असर नहीं रहता है. यही नहीं, इस पशु के मूत्र से कई असाध्य रोग ठीक हो सकते हैं. जज समीर व्यास ने पिछले साल नवंबर में 22 साल के शख्स को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए यह बात कही थी. हालांकि, यह आदेश हाल ही में उपलब्ध कराया गया है.
जज ने गायों के वध पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि एक गाय "हमारी माँ" है, न कि केवल एक जानवर. साथ ही अपने आदेश में आगे कहा, "पृथ्वी की सारी समस्याएं उस दिन सुलझ जाएंगी, जिस दिन धरती पर गाय के रक्त की एक बूंद भी नहीं गिरेगी. हालांकि, हम गौ रक्षा की बात करते हैं, लेकिन इसे धरातल पर लागू नहीं किया जा रहा है. गोहत्या और अवैध परिवहन की घटनाएं नियमित रूप से हो रही हैं. यह एक सभ्य समाज के लिए अपमान है.''
अदालत ने कहा कि हालांकि भारत को आजादी मिले 75 साल बीत चुके हैं, लेकिन गोहत्या की घटनाएं कम होने के बजाय बढ़ रही हैं. आगे कहा, "गाय धर्म का प्रतीक है. गाय आधारित जैविक खेती से उगाए गए खाद्य पदार्थ (फसल) हमें कई बीमारियों से बचाते हैं. विज्ञान ने साबित कर दिया है कि गाय के गोबर से बने घर परमाणु विकिरण से अप्रभावित रहते हैं और गोमूत्र से कई असाध्य रोग ठीक हो सकते हैं."
इसके अलावा जज ने आदेश में कहा कि गायें खतरे में हैं, क्योंकि आज "मशीनीकृत बूचड़खानों" में गोवंश का वध किया जा रहा है और मांसाहारी लोगों को मांस के साथ गोमांस परोसा जाता है.
लोगों को गायों के महत्व समझाने के लिए न्यायाधीश ने कुछ संस्कृत श्लोकों का हवाला दिया और कहा कि "धर्म गाय से पैदा होता है" क्योंकि धर्म एक 'वृषभ' (बैल) के रूप में है, जो एक गाय का पुत्र है. अदालत ने कहा कि यह दर्दनाक है कि गायों को अवैध रूप से ले जाया जा रहा है और उनका वध किया जा रहा है, यहां तक कि भारत में 75 प्रतिशत गोजातीय आबादी पहले ही गायब हो चुकी है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि अगस्त 2020 में तापी पुलिस ने महाराष्ट्र के मालेगांव शहर के निवासी मोहम्मद अमीन अंजुम को एक ट्रक में 16 गायों और बैलों को पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में ले जाने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
जब पुलिस ने ट्रक को रोका तो एक गाय और एक बैल पहले ही मर चुके थे, क्योंकि वाहन में मवेशियों के लिए पर्याप्त जगह या भोजन नहीं था. उन्हें ठूंस-ठूंसकर भरा गया था. हालांकि, अंजुम ट्रक छोड़कर मौके से फरार हो गया, लेकिन बाद में उसे पकड़ लिया गया.
सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने आरोपियों को 2011 के गुजरात पशु संरक्षण अधिनियम, 2017 के गुजरात पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की संबंधित धाराओं के तहत दोषी पाया.
पता हो कि साल 2017 में गुजरात सरकार ने 'गुजरात पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम के रूप में एक कठोर गौहत्या विरोधी कानून पेश किया था, जिसमें गोहत्या के दोषी पाए जाने वाले या किसी भी शख्स के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है. अदालत ने आरोपी को संशोधित अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.