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भारत में भी तुर्की-सीरिया जैसा भूकंप मचा सकता है तबाही, 1803 में मथुरा तक दिखा था असर, IIT कानपुर के साइंटिस्ट की स्टडी

IIT Kanpur के वैज्ञानिक प्रोफेसर जावेद मलिक ने भारत में भी तुर्की और सीरिया जैसे भूकंप की आशंका जताई है. उन्होंने बताया कि हिमालयन रेंज काफी वल्नरेबल है और गंगा के मैदानी क्षेत्रों को ज्यादा खतरा है. नेपाल में 1803 में आए भूकंप का असर मथुरा तक दिखा था. अंग्रेजों ने इसका रिकॉर्ड भी रखा था.

नेपाल में बड़ा भूकंप आया तो यूपी पर भी पड़ेगा असर. (सांकेतिक तस्वीर) नेपाल में बड़ा भूकंप आया तो यूपी पर भी पड़ेगा असर. (सांकेतिक तस्वीर)
सिमर चावला
  • कानपुर,
  • 10 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

तुर्की और सीरिया की तरह भारत में भी तेज भूकंप के झटके आ सकते हैं. यह आशंका भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर में अर्थ साइंस विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक ने जताई है. उन्होंने कहा कि ऐसा अगले एक-दो दशक या उसके पहले भी संभव है. यहां आशंका है कि भूकंप का केंद्र हिमालयन जोन या अंडमान निकोबार होगा, इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है. प्रो. मलिक भूकंप प्रभावित क्षेत्रों कच्छ, अंडमान और उत्तराखंड में लंबे समय से धरती के बदलावों का अध्ययन कर रहे हैं. 

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आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंसेज विभाग के प्रफेसर जावेद मलिक ने कहा है कि नेपाल में कोई बड़ा भूकंप आया तो उत्तर प्रदेश तक इसका असर दिख सकता है. 1934 में नेपाल और बिहार में आए भूकंप का दूर तक असर दिखा था. 1803 में नेपाल में आए भूकंप का असर मथुरा तक दिखा है. ऐसे में हर किसी को सचेत रहने की जरूरत है.

प्रोफेसर मलिक ने बताया कि बीते दिनों आए भूकंप का केंद्र नेपाल का पश्चिमी हिस्सा था. धरती के अंदर इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से बनी ऊर्जा से 2015 में नेपाल में भूकंप आया था.  

विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि इस भूकंप से जमीन के अंदर मौजूद ऊर्जा पूरी तरह बाहर नहीं निकली. ऐसे में सारे आकलन और मॉडल इस बात की ओर संकेत करते हैं कि हिमालयी रेंज किसी बड़े भूकंप के चक्र में आ चुका है. नेपाल में 1255 और 1833 में बड़े भूकंप आए थे. उत्तराखंड की कुमाऊं रेंज में भी 1505 और 1803 में बड़े भूकंप दर्ज हुए थे. नेपाल के हिमालयी क्षेत्र में 1934 में भी 8 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड हुआ था. जिस क्षेत्र में 500-600 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया, वहां कोई बड़ा भूकंप आने की पूरी आशंका है. इसका समय और तारीख तो नहीं बताई जा सकती, लेकिन सतर्क रहने का समय आ गया है.  हमें बचाव की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए. 

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गंगा के मैदानी क्षेत्रों में भी खतरा

प्रोफेसर मलिक ने कहा कि भूकंप की सेस्मिक वेव (तरंगें) जब गंगा के मैदानी इलाकों में यात्रा करती हैं तो इनकी ताकत काफी बढ़ जाती है. भूजल कम गहराई पर है तो मोटी जलोढ़ मिट्टी पर असर होने की पूरी आशंका है. इससे बिल्डिंगों पर भी असर दिख सकता है. नेपाल या हिमालयी क्षेत्र में अधिक तीव्रता के भूकंप से गंगा के मैदानी क्षेत्रों पर असर पड़ने की पूरी आशंका है. 2001 में गुजरात के भुज में आए भूकंप का असर 250-300 किमी दूर अहमदाबाद तक दिखा है. हाल-फिलहाल आए भूकंपों को हमें खतरे की शुरुआती चेतावनी मानना चाहिए.

तुर्की में अब तक 21 हजार से ज्यादा लोगों के शव मलबे से निकाले जा चुके हैं. भूकंप के इन झटकों ने कई परिवारों को ही खत्म कर दिया है. हजारों की तादाद में लोग अस्पताल में भर्ती हैं.  बता दें कि तुर्की में 6 फरवरी की सुबह भूकंप आया था. 

 

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