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विदेश मंत्री जयशंकर की चीनी समकक्ष से मुलाकात, कजाकिस्तान में SCO समिट में पहुंचे हैं दोनों नेता

शंघाई सहयोग संगठन की 24वीं बैठक का आयोजन तीन से चार जुलाई तक है. एससीओ में भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस समेत नौ देश हैं. विदेश मंत्री जयशंकर इस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 

चीनी समकक्ष से विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात चीनी समकक्ष से विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST

कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट का आयोजन हो रहा है. इस दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. 

शंघाई सहयोग संगठन की 24वीं बैठक का आयोजन तीन से चार जुलाई तक है. एससीओ में भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस समेत नौ देश हैं. विदेश मंत्री जयशंकर इस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद सत्र की व्यस्तता की वजह से इस समिट में शामिल नहीं हो पाए. 

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विदेश मंत्री जयशंकर ने एससीओ समिट से इतर चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी. 

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया था कि एससीओ में भारत की प्राथमिकता प्रधानमंत्री के 'Secure SCO' विजन पर आधारित होगी. भारत का जोर सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सहयोग, संपर्क, एकता, संप्रभुता का सम्मान, क्षेत्रीय एकता और पर्यावरण सुरक्षा पर है. इस दौरान बीते 20 सालों की गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी और आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी.

बता दें कि इस बैठक में रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी पहुंचे हैं. मौजूदा समय में एससीओ में 8 देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं. वहीं, अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं.

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SCO क्या है?

अप्रैल 1996 में एक बैठक हुई. इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए. इस बैठक का मकसद था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना. तब इसे 'शंघाई फाइव' कहा गया.

हालांकि, सही मायनों में इसका गठन 15 जून 2001 को हुआ. तब चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना की. इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया.

1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका मकसद था कि चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव कैसे रोका जाए और कैसे उन सीमाओं को सुधारा जाए. ये इसलिए क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था. ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही हासिल हो गया. इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन माना जाता है.

कितना ताकतवर है SCO?

शंघाई सहयोग संगठन में 8 सदस्य देश शामिल हैं. इनमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं. इनके अलावा चार पर्यवेक्षक देश- ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं.

इस संगठन में यूरेशिया यानी यूरोप और एशिया का 60 फीसदी से ज्यादा क्षेत्रफल है. दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी इसके सदस्य देशों में रहती है. साथ ही दुनिया की जीडीपी में इसकी एक-चौथाई हिस्सेदारी है. इतना ही नहीं, इसके सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य (चीन और रूस) और चार परमाणु शक्तियां (चीन, रूस, भारत और पाकिस्तान) शामिल हैं.

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