
पारंपरिक त्योहार जलीकट्टू के दूसरे दिन तमिलनाडु के मदुरै जिले के पलामेदु में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. घायलों को अस्पताल में इलाज जारी है. जानकारी के मुताबिक जिस अरविंद राजन नाम के शख्स की मौत हुई है. वह 9 बैलों को काबू कर चुका था. इसके बाद एक बैल को कंट्रोल करते समय वह गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे मदुरै के राजाजी सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया.
बता दें कि त्योहार को देखते हुए प्रशासन ने सख्त तैयारियां की थीं. यहां 800 बैल और 335 सांडों को वाड़ीवासल (बाड़े) से छोड़ा गया था. इन पशुओं को संभालने के लिए 45 मिनट तक 25 लोग अखाड़े के अंदर मौजूद थे.
जलीकट्टू में लोगों की मौजूदगी को देखते हुए 160 मेडिकल स्टाफ, 6 मोबाइल एम्बुलेंस यूनिट और 160 पशु चिकित्सकों के अलावा 1500 पुलिसकर्मियों को आयोजन स्थल पर तैनात किया गया था.
बता दें कि इससे पहले 15 जनवरी को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में जल्लीकट्टू में बड़ी घटना हो गई थी. यहां समारोह में हिस्सा लेने के दौरान 15 लोग घायल हो गए थे. खेल मकर संक्रांति उत्सव के रूप में आयोजित किया गया था. जल्लीकट्टू खेल में कई उत्साही युवाओं ने हिस्सा लिया था, जिसे भव्यता के साथ मनाया गया.
घटना चित्तूर जिले के अनूपल्ली इलाके में हुई थी. यहां जल्लीकट्टू समारोह में हिस्सा लेने वाले 15 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इन लोगों को चोटें आईं थीं.
क्या होता है जल्लीकट्टू खेल?
बता दें कि जल्लीकट्टू जनवरी के मध्य में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि बैल के कूबड़ पर कितने समय तक कंट्रोल किया गया है. प्रतियोगी को बैल के कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करनी होती है. बैल को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ना होता है. बैल को एक लंबी रस्सी से बांधा जाता है. जीतने के लिए एक समय-सीमा में बैल को काबू में करना होता है. कुल मिलाकर बैल को कंट्रोल में करना इस खेल का टारगेट होता है.
यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है. तमिल शब्द 'मट्टू' का अर्थ है बैल, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित है, जो खेती की प्रक्रिया में एक प्रमुख भागीदार हैं.
खेल को लेकर अलग-अलग राय
हालांकि, इस खेल पर बहस जारी है, जिसमें एक पक्ष पशु अधिकारों के उल्लंघन का दावा करता है और दूसरा लोगों की 'संस्कृति और परंपराओं' के संरक्षण की वकालत करता है. खिलाड़ियों और जानवरों दोनों को कई बार चोट लगने की घटनाएं सामने आने से इस खेल को अदालत ने कई बार प्रतिबंधित किया है. हालांकि, खेल को जारी रखने के लिए 2017 में एक नया अध्यादेश बनाया गया था