
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह साफ कर दिया है कि सरकार अब समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम बढ़ाएगी. पीएम मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को समय की मांग बताते हुए कहा कि हमने कम्युनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं. अब हमें सेकुलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा, तब जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं, सामान्य नागरिक को जो दूरी महसूस होती है, उससे हमें मुक्ति मिलेगी.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता को सेकुलर सिविल कोड बताया. विपक्षी कांग्रेस ने पीएम के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है लेकिन उसने सेकुलर सिविल कोड की जगह वर्तमान सिविल कोड और संविधान को लेकर ही टार्गेट किया है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि पीएम मोदी ने बाबा साहेब आंबेडकर के सिविल कोड को कम्युनल कोड बोला. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की प्रतिक्रिया भी संविधान के इर्द-गिर्द ही है. उन्होंने कहा है कि संविधान सबसे बड़ा है. संविधान जो अनुमति देगा, वही तो होगा.
लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार रहे कन्हैया कुमार ने पीएम पर तंज करते हुए कहा कि वह बस बातें करते रहते हैं. अब तो तीसरी बार पीएम बन चुके हैं, फिर पूरा क्यों नहीं कर देते? उन्होंने कहा कि पीएम का मकसद होता है कि इलेक्शन का भाषण दे दें बस. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस पर इस तरह के बयानों पर टिप्पणी करना नहीं चाहता. प्रधानमंत्री इस तरह के बयान देने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि आज के दिन हम कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते. आज हम उत्सव मना रहे है, उन शहीदों को नमन कर रहे हैं जिन्होंने हमें आजादी दी.
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें उस आजादी को कायम रखना है और हम रखेंगे, हमारे वकील और न्यायाधीश रखेंगे. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि प्रधानमंत्री विवादित मुद्दों को हवा दे रहे हैं. ऐसे मुद्दों को उठा रहे हैं जो धर्म के आधार पर नफरत फैलाते हों. उन्होंने कहा कि देश में इस पर कई बार चर्चा हो चुकी है. विधि आयोग की रिपोर्ट को खारिज करके प्रधानमंत्री विवाद उत्पन्न करना चाहते हैं. आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि यह सरकार संविधान बदलना चाहती है.
पीएम ने विपक्ष के वार को बना लिया हथियार?
सेकुलर और सेकुलरिज्म. इन दो शब्दों की इमेज हालिया वर्षों में देश की सियासी दलों के बीच विभाजन रेखा जैसी रही है. विपक्षी एकजुटता की कवायद का आधार भी यही था- समान विचारधारा वाली सभी सेकुलर पार्टियां एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ चुनाव लड़ें. संसद से सड़क तक विपक्ष सेकुलरिज्म के मोर्चे पर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार और भारतीय जनता पार्टी को घेरता आया है. विपक्ष के हर वार को हथियार बना लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब इसे भी हथियार बना लिया है.
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पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा की है. अनेक बार आदेश दिए हैं. क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है और उसमें सच्चाई भी है कि जिस सिविल कोड को लेकर के हम जी रहे हैं, वह सिविल कोड सचमुच में तो एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है. भेदभाव करने वाला सिविल कोड है.
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उन्होंने कहा कि जो संविधान निर्माताओं का सपना था, उसे पूरा करना हम सब का दायित्व है. मानता हूं, इस गंभीर विषय पर देश में चर्चा हो. व्यापक चर्चा हो. हर कोई अपने विचारों को लेकर आए और उन कानूनों को, जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता. इसलिए कहूंगा अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड हो.