
सुरक्षा बलों के रिटायर्ड जवानों और अधिकारियों के पेंशन नियमों में समानता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है. याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सभी सुरक्षा बलों के सभी जवान पुरानी पेंशन योजना के तहत ही लाभ दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले विभिन्न सुरक्षा बलों और सेना के जवानों और अधिकारियों के पेंशन लाभों में असमानता और अन्य गड़बड़ियां दूर करने के लिए समुचित आदेश देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है.
याचिकाकर्ता संगठन हमारा देश हमारे जवान की ओर से दाखिल जनहित याचिका में वकील अजय अग्रवाल ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सुरक्षा बलों के जवानों को पुरानी पेंशन व्यवस्था का लाभ मिल रहा है, जबकि गृह मंत्रालय के तहत घोषित किए गए सुरक्षा बलों के जवानों को 2004 में लागू की गई नई पेंशन योजना के तहत कमतर लाभ मिलता है.
याचिकाकर्ता ने इसे भेदभाव मानते हुए गृह मंत्रालय के तहत आने वाले बलों को भी पुरानी पेंशन नीति का ही लाभ दिए जाने की मांग की है. हमारा देश हमारे जवान ट्रस्ट की याचिका में कहा गया है कि 1 जनवरी, 2004 को नई पेंशन योजना लागू की गई थी. इसमें पेंशन को अनिवार्य नहीं मानते हुए कर्मचारी की इच्छा के आधार पर उसके वेतन से ही काटने का प्रावधान किया गया है. यानी पेंशन को भी पीएफ की तरह अंशदायी भागीदारी वाली व्यवस्था जैसा बना दिया गया. हमारा देश हमारे जवान की सचिव भावना शर्मा ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर होने के बाद ये उम्मीद जताई है कि उच्चमत न्यायालय से हमारे जवानों को जरूर न्याय मिलेगा.
याचिका में कहा गया कि नई पेंशन योजना में जवान के वेतन से एक निश्चित धनराशि पीएफ की तरह कटती है जिसे रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में दिया जाता है. ये दरअसल पुरानी अनिवार्य पेंशन योजना के साथ ऐच्छिक पेंशन योजना का घालमेल है. इसे जवानों के मनोबल और आर्थिक सुरक्षा के मद्देनजर सुधारने की ज़रूरत है.
यह नियम 2004 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत घोषित किए गए बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एनएसजी, एसएसबी और असम राइफल के जवानों पर लागू होता है, लेकिन रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली भारतीय सेना के जवानों के वेतन पर यह योजना और प्रावधान लागू नहीं है.