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ISI के हनी ट्रैप में कैसे फंस रहे सुरक्षा बलों के जवान...पढ़ें पूरी कहानी

पिछले एक साल में भारत से 200 लोगों को ISI की महिला एजेंटों को कथित रूप से सैन्य-संबंधी जानकारियां लीक करने के लिए गिरफ्तार किया गया है.

सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.
किरण डी. तारे
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST
  • हनी ट्रैप की घटनाएं बन रहीं भारतीय सेना के लिए मुसीबत
  • ISI की महिला एजेंट बना रहीं लोगों को अपना शिकार

पाकिस्तानी ISI की महिला एजेंटो द्वारा हनीट्रैप की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. पिछले एक साल में पूरे भारत से 200 लोगों (आम नागरिक और सैन्यकर्मी) को आइएसआइ की महिला एजेंटों को कथित रूप से सैन्य-संबंधी जानकारियां लीक करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. 

पुणे स्थित दक्षिणी कमान की मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआइ) यूनिट ने हाल ही में कई मामलों को पकड़ा है. सितंबर और अक्तूबर में, उन्होंने ऐसे 10 मामलों का खुलासा किया. साल 2020 में क्रुणाल कुमार बारिया को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली. रिक्वेस्ट भेजने वाली एक सुंदर, सलीकेदार महिला सिदरा खान थी, जिसकी उम्र 20 से 30 साल के बीच थी. फिरोजपुर छावनी में भारतीय सेना के आइटी सेल में तैनात बारिया को जरा भी संदेह नहीं हुआ.

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दोनों ने फोन नंबरों का आदान-प्रदान किया. फिर बातचीत शुरू हुई. धीरे-धीरे चीजें और अधिक अंतरंग होती गईं. जल्द ही बारिया, सिदरा को वह सब बता रहे थे जो वह जानना चाहती थी. करीब डेढ़ साल बाद, 23 अक्तूबर, 2021 को पंजाब पुलिस के अमृतसर के स्पेशल ऑपरेशन सेल की एक टीम ने गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में बारिया को गिरफ्तार किया. फिरोजपुर छावनी में गतिविधियों की सूचना के लिए सिदरा ने बारिया को 10,000 रुपए का भुगतान भी किया था.

वहीं, सितंबर में दक्षिणी कमान की एमआइ यूनिट ने राजस्थान के नरहर निवासी संदीप कुमार को भी धर दबोचा. संदीप कुमार, झुंझुनूं जिले में आर्मी कैंप के पास गैस एजेंसी चलाता था. कैंप में गैस सिलेंडर पहुंचाने के दौरान उसने कथित तौर पर अंदर के संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें खींचीं और उन्हें पाकिस्तानी हैंडलर को 5 लाख रुपए में बेच दिया.

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कभी-कभी ये हनीट्रैप बड़े लेवल पर भी किया जाता है. एक केस साल 2018 में भी देखने को मिला, जब 'निहा शर्मा' और 'पूजा रंजन' ने भारतीय सशस्त्र बलों की खातिर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण करने वाले भारत-रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस के लिए काम कर रहे नागपुर के एक इंजीनियर को फंसा लिया था. निशांत अग्रवाल ने कथित तौर पर ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी लीक की थी. वह नागपुर की जेल में बंद है और कठोर सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत आरोपित है.

सोशल मीडिया ट्रैप ऑपरेशन का मिला सुराग

सैन्य खुफिया अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान में रावलपिंडी के एक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर 2019 में एक विज्ञापन दिया गया था, जिससे बड़े सोशल मीडिया ट्रैप ऑपरेशन का सुराग मिला. विज्ञापन में 'एक सैन्य स्वामित्व वाले मीडिया हाउस' में नौकरी के लिए 'सोशल मीडिया विशेषज्ञ (महिला)' पद के लिए आवेदन मांगे गए थे. भारतीय एमआइ अधिकारियों का मानना है कि भर्ती का उद्देश्य, सेक्स चैट के दौरान पुरुषों को खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए लुभाना था.

'ऑपरेशन हैदराबाद'

जिन सैन्य खुफिया अधिकारियों ने इंडिया टुडे से बात की, उनका मानना है कि यह विज्ञापन आइएसआइ के 'ऑपरेशन हैदराबाद' की शुरुआत थी जिसका कोडनेम पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शहर के नाम पर रखा गया था. इस ऑपरेशन के तहत आइएसआइ रावलपिंडी, लाहौर और हैदराबाद जैसे शहरों से कॉल सेंटर चलाती है. निहा शर्मा, इशानिका अहीर और पूजा राजपूत जैसे भारतीय उपनाम वाली पाकिस्तानी लड़कियां हजारों डीपी (डिस्पले पिक्चर) को खंगालती हैं. उन्हें रणनीतिक रूप से तैनात भारतीय सशस्त्र बलों के ऐसे लोगों की तलाश रहती है जिन्हें आसानी से फांसा जा सकता है.

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सैन्य कर्मियों के लिए सोशल मीडिया बैन

साल 2020 में सेना ने अपने कर्मियों के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया. इसका उल्लंघन करते पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है. फिर भी कुछ लोग उल्लंघन करते हैं और फंस जाते हैं.  पिछले कुछ महीनों में एमआइ ने हनी ट्रैप की पहचान करने के लिए एक बड़ा अभियान छेड़ा है. काउंटर-इंटेलिजेंस टीमें मुखबिरों के नेटवर्क का उपयोग करके उन कर्मियों पर नजर रखती हैं जो दुश्मन के फंदे में फंस सकते हैं. जिन जवानों ने सेना में 10 साल से कम समय बिताया है उन्हें सबसे कमजोर माना जाता है जो जाल में फंस सकते हैं. एमआइ ने पीआइओ की कई फाइलें खंगाली हैं और पाकिस्तान में उनके इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस को ट्रैक करते हुए व्यक्तिगत एजेंटों के काम के तौर-तरीकों को गहराई से समझा है.

सैनिकों को हनी ट्रैप को लेकर किया जाता है सचेत

सेना ने 'शराब, शबाब और पैसे के लालच' को अपने कर्मियों पर हावी होने से रोकने के लिए कई उपाय किए हैं. कमजोर लोगों का पता लगाने के लिए एक आंतरिक सैन्य अभ्यास, 'मायाजाल', सोशल मीडिया के जरिए चलाया जाता है. शाम के रोल कॉल के दौरान जवानों को सोशल मीडिया और हनी ट्रैप के खतरों के बारे में शिक्षित किया जाता है. जवानों को सतर्क और सचेत बनाने के लिए नियमित अंतराल पर आयोजित 'सैनिक सम्मेलनों' का उपयोग भी किया जाता है.

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