Advertisement

मद्रास हाई कोर्ट कैंपस के अंदर शख्स ने किया आत्मदाह, अदालत ने प्रशासन से मांगी रिपोर्ट

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा और न्यायमूर्ति डी कृष्णकुमार ने इस मामले की सुनवाई की. कांचीपुरम जिला प्रशासन ने अदालत को सूचित किया कि पीड़ित के बेटे को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि परिवार वास्तव में अनुसूचित जाति का था.

मद्रास हाई कोर्ट मद्रास हाई कोर्ट
अक्षया नाथ
  • चेन्नई,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

कुछ दिनों पहले चौंकाने वाली घटना में 49 वर्षीय शख्स ने मद्रास उच्च न्यायालय के परिसर के अंदर आत्मदाह कर लिया था. इस मामले में न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने घटना की जांच के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी सुनवाई की.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा और न्यायमूर्ति डी कृष्णकुमार ने इस पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कांचीपुरम जिला प्रशासन ने अदालत को बताया कि पीड़ित के बेटे को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि परिवार वास्तव में अनुसूचित जाति का था.

Advertisement

मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जिला प्रशासन से दो सप्ताह के भीतर यानी 31 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. पुलिस ने मृतक की पहचान कांचीपुरम के सेरमाथुर के रहने वाले 49 वर्षीय वेलमुरुगन के रूप में की थी. वेलमुरुगन ने कथित तौर पर कई प्रयासों के बाद अपने बेटे के लिए अनुसूचित जनजाति की श्रेणी नहीं पाने से निराश होकर आत्मदाह कर लिया था.

इसी साल अगस्त में उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में एक सफाई कर्मी ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी. इसे देखकर अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में मौके पर मौजूद कर्मियों ने आग लगने से पहले उसे बचा लिया. ललितपुर जिले में बिरधा ब्लॉक के झरकौन ग्राम के रहने वाले सफाई कर्मी उमेश को 10 माह से वेतन नहीं मिला था.

Advertisement

उमेश का कहना था कि जिला पंचायत राज अधिकारी ने उसकी सैलरी रोक दी थी. इस वजह से परिवार का भरण पोषण करने में उसे परेशानी हो रही थी. अधिकारियों के पास वेतन मांगने पर उसे डांट-फटकार कर भगा दिया जाता था. ऐसे में परेशान होकर उसने खुद के ऊपर तेल डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement