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भारतीय परंपरा और संस्कृति से कांग्रेस को इतनी नफरत क्यों? सेंगोल विवाद पर अमित शाह का तंज

कांग्रेस सहित 21 राजनीतिक दलों ने नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. वहीं सरकार के समर्थन में 25 दल इस समारोह में शामिल होंगे. कांग्रेस के विरोध को लेकर अब गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है.

सेंगोल को लेकर कांग्रेस पर बरसे अमित शाह (फाइल फोटो) सेंगोल को लेकर कांग्रेस पर बरसे अमित शाह (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2023,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्धाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री मोदी रविवार को देश की संसद के नए भवन का उद्घाटन करने वाले हैं और कांग्रेस की मांग है कि राष्ट्रपति के हाथों इसका उद्घाटन होना चाहिए.अब कांग्रेस के विरोध पर गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है?

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गृह मंत्री का ट्वीट

गृह मंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा, 'कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा पंडित नेहरू को एक पवित्र सेंगोल दिया गया था, लेकिन इसे 'वॉकिंग स्टिक' के रूप में एक संग्रहालय में भेज दिया गया.'

उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, 'अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. थिरुवदुथुराई अधीनम नाम के एक पवित्र शैव मठ ने स्वयं भारत की स्वतंत्रता के समय सेंगोल के महत्व के बारे में बात की थी. कांग्रेस अधीनम के इतिहास को झूठा बता रही है! कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करने की जरूरत है.'

इससे पहले अमित शाह ने कहा था कि मैं कांग्रेस को कहना चाहता हूं कि आपके बहिष्कार से कुछ नहीं होता. पूरे देश का आशीर्वाद प्रधानमंत्री के साथ है. ये आप जो कर रहे हैं वो भारत के लोगों का अपमान है. अगली बार आपकी इतनी सीटें भी नहीं आएंगी. जब बीजेपी विपक्ष में थी, हमने आपका सम्मान किया.

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28 मई को संसद भवन का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस पर जमकर सियासत हो रही है. तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के हाथों नहीं. इतना ही नहीं अब तक 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बायकॉट का ऐलान भी किया है.

 खास मौके पर प्रधानमंत्री ऐतिहासिक रूप से अहम 'सेंगोल' की स्थापना भी करेंगे. संसद भवन की नई इमारत में इसके लिए एक खास जगह तय की गई है. इसकी प्रतीकात्मक तस्वीर भी जारी की गई है, जिसमें दिखाया गया है कि 5 फीट लंबा चांदी का सेंगोल को संसद में कहा रखा जाएगा.

सेंगोल क्या है ?

सेंगोल शब्द संस्कृत के 'सुंक' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है 'शंख.' शंख वैदिक परंपरा में पौरुष के उद्घोष का प्रतीक है. इसे राज्य के विस्तार, प्रभाव और संप्रभुता से भी जोड़ कर देखा जाता है. ऐसे ही सेंगोल भी राज्य की संप्रभुता, प्रभाव, विस्तार और पौरुष के प्रतीक के तौर पर वर्णित है. परंपरा में सेंगोल को 'राजदण्ड' कहा जाता है जो राजपुरोहित राजा को देता था. वैदिक परंपरा में दो तरह के सत्ता के प्रतीक हैं. राजसत्ता के लिए "राजदंड" और धर्मसत्ता के लिये 'धर्मदंड'. राजदंड राजा के पास होता था और धर्मदंड राजपुरोहित के पास.

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