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'एक हफ्ते में खोला जाए शंभू बॉर्डर...', किसानों के प्रदर्शन को लेकर पंजाब-हरियाणा HC का बड़ा फैसला

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का कहना है कि किसानों का प्रदर्शन लंबे समय से चल रहा है. दरअसल शंभू बॉर्डर के व्यापारियों ने किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर बॉर्डर खोले जाने को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था. इसके साथ ही अदालत ने हरियाणा सरकार से कहा है कि वह किसानों को दिल्ली की तरफ जाने दे.

किसान प्रदर्शनों पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला किसान प्रदर्शनों पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला
कमलजीत संधू
  • अंबाला,
  • 10 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा है कि बैरिकेट्स हटाकर रास्तों को खोला जाए.

हाईकोर्ट का कहना है कि किसानों का प्रदर्शन लंबे समय से चल रहा है. दरअसल शंभू बॉर्डर के व्यापारियों ने किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर बॉर्डर खोले जाने को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था. इसके साथ ही अदालत ने हरियाणा सरकार से कहा है कि वह किसानों को दिल्ली की तरफ जाने दे.

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब शंभू में स्थिति शांतिपूर्ण है तो किसानों को आगे बढ़ने से रोकने का कोई मतलब नहीं है. केंद्र सरकार से मांग की जा रही है और उन्हें जाने दिया जाना चाहिए. हरियाणा सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि बैरिकेडिंग हटाने से किसानों के लिए राज्य में प्रवेश करना और एसपी ऑफिस का घेराव करना आसान हो जाएगा. जजों ने कहा कि विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है और किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता.

हाईकोर्ट की पीठ ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को राजमार्ग की बहाली के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने का भी निर्देश दिया था. बता दें कि किसानों ने पांच महीने पहले दिल्ली मार्च का ऐलान किया था. इसके बाद से ही शंभू बॉर्डर बंद था. पंजाब और हरियाणा बॉर्डर को अलग करने वाले शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने सात स्तरीय बैरिकेडिंग करके रखी थी. 

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400 किसान अब भी शंभू बॉर्डर पर टिके

पंजाब के विभिन्न हिस्सों से करीब 400 किसान अभी भी शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. हालांकि चावल की रोपाई के बाद अधिकांश किसान अपने खेतों में वापस लौट गए हैं. अदालत के आदेश से प्रदर्शनकारियों को राहत मिली है, जो कड़ाके की ठंड और चिलचिलाती धूप में डटे हुए हैं. शंभू बॉर्डर पर पांच महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान दो दर्जन से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है.

किसान यूनियनों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे अपना मार्च कब फिर से शुरू करेंगे. इस सप्ताह शंभू बॉर्डर पर किसान यूनियनों की एक बैठक होनी थी.

किसानों की हैं ये मांगें

शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) कर रहे हैं. किसानों ने तीन प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर शंभू रेलवे स्टेशन को जाम कर दिया था, लेकिन एक महीने बाद इसे खाली करा लिया गया. किसान यूनियनों की मांगों में दो दर्जन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए मासिक पेंशन और कर्ज माफी शामिल हैं.

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