
शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmistha Mukherjee) जो कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी हैं उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया है. इतना ही नहीं, सक्रिय राजनीति से संन्यास के फैसले पर उठ रहे सवालों पर भी उन्होंने जवाब दिए. कोई इस बात की आशंका जता रहा था कि शर्मिष्ठा मुखर्जी अब किसी दूसरी पार्टी में ना चली जाएं. वहीं कई ने प्रणब मुखर्जी का नाम लेकर शर्मिष्ठा को घेरा कि उनके पिता कांग्रेस में होकर भी संघ के कार्यक्रम में गए थे.
बता दें कि प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी पहले ही कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं. उन्होंने इसी साल ममता बनर्जी की TMC जॉइन की थी. अब 25 सितंबर को एक पोस्ट पर जवाब देते हुए शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान किया. उन्होंने लिखा, 'बहुत शुक्रिया. लेकिन में अब 'राजनेता' नहीं हूं. मैंने राजनीति छोड़ दी है. मैं फिलहाल कांग्रेस की सदस्य हूं, लेकिन सक्रिय राजनीति में नहीं हूं. देश की सेवा करने के और भी कई तरीके हैं.'
Thanks so much, but no more a ‘politician’. I’ve quit politics. I remain & will continue to remain a primary member of Congress, but no more active politics for me. One can serve the nation in many other ways….😊🙏 https://t.co/PjQAcnB39S
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) September 25, 2021शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्रोलर्स को दिए जवाब
एक शख्स ने शर्मिष्ठा मुखर्जी से कहा कि वह वादा करें कि भविष्य में किसी अन्य पार्टी को जॉइन नहीं करेंगी. इसपर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, 'मैं राजनीति छोड़ रही हूं. ऐसे में कांग्रेस जो कि मेरे लिए घर जैसी है, उसे छोड़कर किसी और पार्टी में क्यों जाऊंगी. मैंने बचपन से राजनीतिक रसूख देखा है. कोई लालच मुझे खींच नहीं सकता. मैं आगे का जीवन शांति से बिताना चाहती हूं.'
कुछ ऐसे भी कॉमेंट थे जिन्होंने शर्मिष्ठा मुखर्जी के 'कांग्रेस छोड़ने' पर खुशी जाहिर कर दी. शर्मिष्ठा इनपर भड़कीं भी. उन्होंने ऐसे कॉमेंट को शर्मनाक बताया. इसके अलावा कुछ ने प्रणब मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने वाले फैसले पर सवाल उठाए. इसपर शर्मिष्ठा ने कहा कि प्रणब इसलिए संघ के कार्यक्रम में गए थे क्योंकि वह बातचीत में विश्वास रखते थे जो कि लोकतंत्र का आधार है. वह बोलीं कि कथित फासीवाद के मंच से भी प्रणब ने बहुलतावादी समावेशी भारत की बात की थी. शर्मिष्ठा ने यह भी लिखा कि संघ प्रचारक को भारत का पीएम बनाने वाले प्रणब नहीं थे, बल्कि भारत के ही लोग थे.