
कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने सोमवार को ऐलान किया कि वह ब्रिटेन की अपनी आगामी यात्रा वहां पर भारतीयों के लिए क्वारंटाइन रूल्स में बदलाव किए जाने के फैसले की वजह से कैंसिल कर रहे हैं. उन्होंने ब्रिटेन की नीति को भेदभावपूर्ण करार दिया.
ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, तुर्की, जॉर्डन, थाईलैंड या रूस में वैक्सीनेशन कराने वाले किसी भी व्यक्ति को "अन-वैक्सीनेटेड" माना जाएगा. ऐसे यात्रियों को यूनाइटेड किंगडम पहुंचने पर 10 दिनों के लिए अनिवार्य क्वारंटाइन में रहना होगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने सोमवार को अपने एक ट्वीट में कहा, "पूरी तरह से वैक्सीनेशन करवाने वाले भारतीयों को क्वारंटाइन के लिए कहना अपमानजनक है."
अपने इस फैसले के बारे में आजतक/इंडिया टुडे से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा कि पूरी तरह से वैक्सीनेशन करवाने वाले लोगों के लिए 10 दिन का क्वारंटाइन न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि समय की बर्बादी भी है.
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'दोहरापन पूरी तरह से असाधारण'
शशि थरूर ने कहा, "ब्रिटेन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उपयोग करता है, जो खुद पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित है और जिसे हम कोविशील्ड नाम से ले रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा, "अगर ब्रिटिश लोग एक अलग ब्रांड नाम के तहत कोविशील्ड ले रहे हैं, तो आप धरती पर कैसे कह सकते हैं कि वैक्सीनेशन का एक सेट स्वीकार कर लिया गया है और दूसरा सेट नहीं है और आपको क्वारंटीन रहना होगा. इस तरह का दोहरापन बिल्कुल असाधारण है."
सांसद शशि थरूर ने इसे ब्रिटिश सरकार की ओर से 'अपमानजनक आचरण' करार देते हुए कहा कि ब्रिटेन में इस नीति की समीक्षा की जा रही है. थरूर ने कहा, "निजी तौर पर, मैंने जो सुना है, वह वैक्सीनेशन नहीं है, जिस पर वे अविश्वास करते हैं, यह दस्तावेज है. जैसा कि एक व्यक्ति ने मुझसे कहा, हमें लगता है कि आपका देश हर चीज पर नकली प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है."
कांग्रेस सांसद जो आईटी संसदीय स्थायी समिति के प्रमुख भी हैं, ने कहा कि भारत में वैक्सीन प्रमाणपत्रों में क्यूआर कोड होते हैं जिन्हें प्रमाणीकरण के उद्देश्य से विदेशी एयरपोर्ट पर अधिकारियों के साथ साझा किया जा सकता है.
शशि थरूर ने इंडिया टुडे से कहा, "इस तथ्य के बारे में कोई सवाल ही नहीं है कि यह (ब्रिटेन की संशोधित नीति) भेदभावपूर्ण है, खासकर भारतीय वैक्सीन स्वीकार्य क्यों नहीं है, इस पर कोई तर्कसंगत स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. विशेष रूप से, यह वही वैक्सीन है जिसे अधिकांश ब्रिटिश नागरिक ले रहे हैं."