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'एक्सपर्ट लाने के लिए अनिवार्य तरीका', लेटरल एंट्री के सपोर्ट में आए कांग्रेस सांसद शशि थरूर

यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाती है, जिन पद पर आईएएस रैंक के ऑफिसर तैनात किए जाते हैं. यानी इन सिस्टम में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में सीधे उपसचिव यानी ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है.

लेटरल एंट्री के सपोर्ट में उतरे शशि थरूर. (फाइल फोटो) लेटरल एंट्री के सपोर्ट में उतरे शशि थरूर. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

'बिना परीक्षा IAS' बनाने वाले सिस्टम यानी लेटरल एंट्री प्रोसेस इन दिनों चर्चा में है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां लेटरल एंट्री से हो रही 45 नियुक्तियों का विरोध कर रही है. वहीं, केंद्र सरकार का तर्क है कि इसकी शुरुआत यूपीए सरकार के दौरान ही हुई थी. इसके पक्ष-विपक्ष में कई नेता बयान दे रहे हैं. इसी बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने  लेटरल एंट्री के सपोर्ट में उतरे हैं. उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री सरकारी सिस्टम में एक्सपर्ट्स की मौजूदगी के लिए अल्टीमेट तरीका है.

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लेटरल एंट्री के सपोर्ट में उतरे शशि थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने 'एक्स' पर कहा कि लेटरल एंट्री सरकार के लिए किसी खास क्षेत्र में 'विशेषज्ञता' हासिल करने के लिए जरूरी है. इससे उन क्षेत्रों में कामकाज में मदद मिलती है, जिनके लिए हमारे पास एक्सपर्ट्स नहीं होते हैं. हालांकि, थरूर ने कहा कि थोड़े वक्त के लिए यह जरूरी कदम है. लेकिन लंबे समय के लिए मौजूदा नियमों के तहत भर्ती किए गए सरकारी अधिकारियों को सरकार द्वारा प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है.

आखिर है क्या लेटरल सिस्टम? 

अगर लेटरल सिस्टम की बात करें तो यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाती है, जिन पद पर आईएएस रैंक के ऑफिसर तैनात किए जाते हैं. यानी इन सिस्टम में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में सीधे उपसचिव यानी ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग सेक्टर के एक्सपर्ट्स को सरकार में इन पदों पर नौकरी दी जाती है. इस सिस्टम में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा नहीं लेता है और बिना एग्जाम में इंटरव्यू के जरिए प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की इन पदों पर नियुक्ति की जाती है.

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यूपीए सरकार और लेटरल एंट्री...

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सबसे पहले लेटरल एंट्री कॉन्सेप्ट लेकर आयी थी. साल 2005 में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (Admin Reforms Commission) का गठन किया गया और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली इस आयोग के अध्यक्ष थे. ‘कार्मिक प्रशासन का नवीनीकरण-नई ऊंचाइयों को छूना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आयोग की एक प्रमुख सिफारिश यह थी कि उच्च सरकारी पदों जिसके लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है, उन पर लेटरल एंट्री शुरू की जाए.

ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री की शुरुआत कब हुई? 

नीति आयोग ने 2017 में अपने तीन-वर्षीय एक्शन एजेंडा पर प्रस्तुत रिपोर्ट में केंद्र सरकार में मध्य और वरिष्ठ स्तर पर लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति की सिफारिश की थी. इसमें कहा गया था कि लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्त होने वाले अधिकारी केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा होंगे. लेटरल एंट्री के तहत होने वाली नियुक्तियां 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर होंगी, जिसे कुल मिलाकर 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है. उस समय तक केंद्रीय सचिवालय में सिर्फ करियर डिप्लोमैट (सिविल सेवा के अधिकारी) ही नियुक्त होते थे. 

लेटरल एंट्री के तहत नियुक्ति की लिए पहली बार 2018 में आवेदन मंगाया गया. लेकिन यह भर्ती सिर्फ संयुक्त सचिव स्तर के पदों के लिए थी. निदेशक और उप सचिव स्तर के पद लेटरल एंट्री के लिए बाद में खोले गए. कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) द्वारा नियुक्त एक संयुक्त सचिव, किसी विभाग में तीसरा सबसे बड़ा पद (सचिव और अतिरिक्त सचिव के बाद) होता है, और उक्त विभाग में एक विंग के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है. 

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निदेशक का पद संयुक्त सचिव से एक रैंक नीचे आता है, और उप सचिव का पद निदेशक से एक रैंक नीचे होता है. हालांकि अधिकांश मंत्रालयों में, वे समान कार्य करते हैं. निदेशक/उप सचिवों को किसी विभाग में मध्य स्तर का अधिकारी माना जाता है. संयुक्त सचिव वह पद होता है जहां निर्णय लिए जाते हैं.

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लेटरल एंट्री के पीछे केंद्र सरकार का तर्क 

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने 2019 में राज्यसभा को बताया था कि 'लेटरल एंट्री का उद्देश्य ब्यूरोक्रेसी में नई प्रतिभाओं को लाने के साथ-साथ मैनपावर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करना है. राज्यसभा में 8 अगस्त, 2024 को एक प्रश्न का उत्तर देते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा, 'प्रोफेशनल्स की उनके कार्य क्षेत्र में विशेषज्ञता और कौशल को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के स्तर पर लेटरल एंट्री के जरिए उनकी नियुक्ति की जाएगी.'

लेटरल एंट्री के पीछे की सोच यह है कि सरकार ऐसे व्यक्तियों की विशेषज्ञता और कौशल का उपयोग करना चाहती है, जिनके पास किसी विशेष क्षेत्र में कार्य करने का लंबा अनुभव हो, फिर भले ही वे कैरियर डिप्लोमैट हों या न हों. इस विचार के अनुरूप, पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न केंद्रीय सिविल सेवाओं के अधिकारियों को केंद्रीय सचिवालय में सेवा करने का अवसर दिया गया है, जिसे हमेशा आईएएस-प्रभुत्व वाला माना जाता था.

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लेटरल एंट्री से अब तक कितनी भर्तियां हुईं हैं? 

लेटरल एंट्री के तहत पहले दौर की भर्ती 2018 में शुरू हुई. तब सरकार को संयुक्त सचिव स्तर के पदों के लिए कुल 6,077 आवेदन प्राप्त हुए थे. यूपीएससी द्वारा चयन प्रक्रिया पूरी करने के बाद, 2019 में नौ अलग-अलग मंत्रालयों/विभागों में नियुक्ति के लिए नौ प्रोफेशनल्स के नामों की सिफारिश की गई थी. 2021 में लेटरल एंट्री के लिए दूसरी बार आवेदन मंगाए गए थे. फिर मई 2023 में लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती का विज्ञापन यूपीएससी की ओर से जारी किया गया था. जितेंद्र सिंह ने इस साल 9 अगस्त को राज्यसभा में बताया था कि, 'पिछले पांच वर्षों में लेटरल एंट्री के माध्यम से 63 नियुक्तियां की गई हैं. वर्तमान में, 57 प्रोफेशनल्स केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं.'

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