
बांग्लादेश में पांच अगस्त को हुए तख्तापलट और शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर फरार हो जाने के बाद से उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. जहां एक तरफ वह अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने की जंग लड़ रही हैं. वहीं दूसरी तरफ उनके ऊपर एक के बाद एक कई केस दर्ज हो चुके हैं.
पांच अगस्त के बाद से अब तक इन 24 दिनों में शेख हसीना पर 75 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं. इनमें छोटे-मोटे मामलों से लेकर अपहरण और हत्या जैसे संगीन आरोप तक हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 76 साल की शेख हसीना के खिलाफ हाल ही में ढाका कोर्ट में तीन और नए मामले दर्ज किए गए हैं. इससे पहले बोगुरा में उन पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ अकेले हत्या के ही 63 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि सात मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के आरोप हैं जबकि अन्य कुछ मामले अपहरण के भी हैं.
शेख हसीना के खिलाफ किसकी हत्या का केस दर्ज?
शेख हसीना के खिलाफ 19 जुलाई को ढाका के बनाश्री में कोटा सिस्टम को लेकर किए जा रहे आंदोलन के दौरान एक किराने की दुकान के मालिक की हत्या का मामला दर्ज किया गया है. शेख हसीना के अलावा 30 और लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
दरअसल मृतक के पिता ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद तोफज्जल हुसैन की कोर्ट में हत्या का मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद कोर्ट ने खिलगांव पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने को कहा था. कोर्ट ने इसी पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी से 14 साल के बच्चे की हत्या के मामले में शेख हसीना और 26 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा था.
शेख हसीना और 50 अन्य लोगों के खिलाफ तीसरा केस 18 जुलाई के दौरान छात्रों के आरक्षण को लेक किए गए आंदोलन के दौरान ढाका बार एसोसिएशन के वकील की हत्या के प्रयास के संबंध में दर्ज किया था. हसीना के खिलाफ बोगुरा में भी हत्या का मामला दर्ज किया गया. चार अगस्त को एक शख्स को गोली मारी गई थी. यह केस उसी से जुड़ा हुआ है.
बांग्लादेश में कैसे हुई थी आंदोलन की शुरुआत?
बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में उन लोगों के परिवारों को आरक्षण मिलता था, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाई थी. इस कोटे के खिलाफ वहां उग्र प्रदर्शन शुरू हुए थे. शेख हसीना ने रणनीति और बल दोनों से इस आंदोलन को रोकने की कोशिश की थी लेकिन दोनों ही प्रयास असफल रहे. आखिर में उन्होंने प्रदर्शनकारियों की सभी मांगे मान लीं, लेकिन प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफे पर अड़ गए.
इस बीच पांच अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत आ गईं. वहीं, बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई. कई पुलिस स्टेशनों पर हमला किया गया और आग लगा दी गई. देशभर में भड़की हिंसा की घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई. इसके बाद मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन किया गया.