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'यह हास्यास्पद है...', शेख हसीना सरकार के तख्तापलट में US की भूमिका पर बोली अमेरिकी सरकार

बांग्लादेश में तख्तापलट के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराए जाने के आरोपों पर अमेरिकी विदेश विभाग के उपप्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि ऐसे आरोप पूरी तरह से हास्यास्पद हैं. शेख हसीना के इस्तीफे में अमेरिकी सरकार की किसी भी तरह की कोई भूमिका नहीं है.

शेख हसीना शेख हसीना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 7:36 AM IST

बांग्लादेश इन दिनों वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. आरक्षण के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन से लेकर शेख हसीना सरकार के तख्तापलट और अंतरिम सरकार के गठन पर सभी की नजरें थी. बांग्लादेश में इस तख्तापलट के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसे अमेरिकी सरकार ने हास्यास्पद बताया है.

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के पीछे अमेरिका की भूमिका के आरोपों पर अमेरिकी विदेश विभाग ने इन्हें हास्यास्पद और पूरी तरह से गलत बताया.  

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अमेरिकी विदेश विभाग के उपप्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि ऐसे आरोप पूरी तरह से हास्यास्पद हैं. शेख हसीना के इस्तीफे में अमेरिकी सरकार की किसी भी तरह की भूमिका होने के आरोप पूरी तरह से गलत हैं.

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रमों को लेकर कई तरह की झूठी जानकारियां सामने आई हैं, जिससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित हुआ है.

इससे पहले हाल ही में एक इंटरव्यू में अमेरिका के विदेश नीति विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने शेख हसीना की बर्खास्तगी को लेकर विदेशी दखल के आरोपों को खारिज किया था. उन्होंने कहा था कि इन आरोपों की पुष्टि करने के लिए किसी तरह के सबूत नहीं है. शेख हसीना सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई की, जिससे यह आंदोलन तेज हुआ.

कुगेलमैन ने कहा कि इस पर मेरी राय बहुत सरल और स्पष्ट है. मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारणों से पैदा हुआ. यह छात्रों द्वारा चलाया गया आंदोलन था, जो एक विशेष मुद्दे से नाखुश थे. वे सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर नाराज थे. लेकिन शेख हसीना सरकार ने छात्रों पर सख्त कार्रवाई की, जिससे यह आंदोलन बड़ा होता चला गया. यह पूरी तरह से आंतरिक वजहों से प्रेरित था.

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बांग्लादेश में कैसे हुई थी आंदोलन की शुरुआत?

बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में उन लोगों के परिवार को आरक्षण मिलता था, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाई थी. इस कोटे के खिलाफ वहां उग्र प्रदर्शन शुरू हुए थे. शेख हसीना ने रणनीति और बल दोनों से इस आंदोलन को रोकने की कोशिश की थी लेकिन दोनों ही प्रयास असफल रहे. आखिर में उन्होंने प्रदर्शनकारियों की सभी मांगे मान लीं, लेकिन प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफे पर अड़ गए. प्रदर्शनकारियों की मांग मानते हुए शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं, वह तभी से भारत में ही हैं.

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