
सियासत और धर्म का रिश्ता काफी गहरा रहा है. इससे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष कोई अछूता नहीं रहा है. तमाम मुद्दों पर एक दूसरे को घेरने वाले दल तब चुप्पी साध लेते हैं जब मामला किसी धर्म से जुड़ा हो. ऐसा ही मामला कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में लिंगायत मठ के प्रमुख शिवमूर्ति मुरुगा से जुड़ा है. शिवमूर्ति और अन्य चार लोगों के खिलाफ दो किशोरियों का यौन उत्पीड़न करने का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले पर सत्तासीन बीजेपी के साथ ही विपक्ष भी कोई स्टैंड लेने में असमर्थ दिख रहा है.
अमूमन हर मामले में सत्ताधारी दलों पर विपक्ष हमलावर रहता है. लेकिन यहां मामला काफी पेचीदा है. लिंगायत समुदाय की भावनाओं और वोट को देखते हुए विरोध करने की बात तो दूर हर दल सधी जुबान में ही बयान दे रहा है. सीएम बसवराज का कहना है कि जांच चल रही है. POCSO और बेटियों को अगवा करने का मामला दर्ज किया गया है. उधर विधायक के.एस. ईश्वरप्पा ने कहा कि वह दुखी हैं और भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि आरोप गलत साबित हों.
आमतौर पर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सहित प्रमुख कांग्रेसी नेता सत्ता पक्ष को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ते. लेकिन इस मामले पर प्रतिक्रिया देने से बचते दिख रहे हैं. जिसकी प्रमुख वजह है लिंगायत समुदाय को 16 फीसदी वोट. इसी को देखते हुए शिवकुमार कहते हैं कि घटना के पीछे कुछ साजिश हो सकती है.
आरोपों की निष्पक्ष जांच हो- लहर सिंह
बात बेबाक बयान की करें तो भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने आरोपों को बेहद चौंकाने वाला बताया है. साथ ही राजनीतिक दलों से अपने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने और नाबालिग लड़कियों द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया.
जानिए क्या है पूरा मामला
जिन दोनों लड़कियों ने संत के खिलाफ मामला दर्ज कराया है वे मठ के स्कूल में पढ़ती हैं. दोनों की उम्र क्रमशः 14 और 16 साल है. दोनों पीड़िताओं ने एक एनजीओ की मदद से जिला बाल कल्याण समिति के पास शिकायत दर्ज कराई थी. इस मामले में संत के साथ ही संस्थान के चार वार्डन भी आरोपी हैं. लड़कियों का आरोप है कि करीब तीन साल पांच महीने उनका यौन उत्पीड़न हुआ. वहीं इस मामले में एनजीओ का आरोप है कि मामला केवल दो लड़कियों के यौन उत्पीड़न का नहीं है, आरोपियों ने कई और लड़कियों के साथ ऐसी घिनौनी हरकत की है.
सियासत में लिंगायत वोट बैंक की ताकत
लिंगायत वोट बैंक की ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि येदियुरप्पा को जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. उनकी जगह बसवराज बोम्मई ने ली थी. कहने को तो हर दल के अपने आदर्श होते हैं. लेकिन सियासत में वोट बैंक का ही खेल होता है. कहा जाता है कि लिंगायत के कुछ वर्गों के बीजेपी से दूर जाने के मामूली संकेत मिले थे. जिस पर भाजपा ने उक्त निर्णय लिया था. हाल ही में भाजपा ने येदियुरप्पा को संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य के रूप में नई जिम्मेदारी देकर रूठों को मानने की कोशिश भी की.
रिपोर्ट- रामकृष्ण उपाध्याय