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'आफताब की थी प्रॉपर्टी पर नजर, मेरी बेटी का ब्रेनवॉश किया', श्रद्धा के पिता का Exclusive इंटरव्यू

आजतक के शो ब्लैक एंड व्हाइट में आज श्रद्धा वॉल्कर के पिता विकास वॉल्कर ने अपना दर्द सुनाया. उन्होंने कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कहा कि ये वक्त एक बुरे सपने से कम नहीं है. विकास वॉल्कर ने आफताब की परवरिश पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मुझे तो लगता है कि आफताब ने प्लानिंग के तहत मेरी बेटी को निशाना बनाया.

श्रद्धा वॉल्कर के पिता ने आजतक पर साझा किया अपना दर्द श्रद्धा वॉल्कर के पिता ने आजतक पर साझा किया अपना दर्द
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:23 AM IST

देशभर में श्रद्धा वॉल्कर के मर्डर के बाद सबकी इच्छा है कि मृतका को न्याय मिले. इस मुद्दे पर न्याय की गुहार पूरा देश तो लगा ही रहा है लेकिन परिवार के लोगों को अधिक संघर्ष करना पड़ रहा है. श्रद्धा के पिता विकास वॉल्कर ने आजतक के ब्लैक एंड वाइट शो में गुरुवार को इस मर्डर केस को लेकर बात की. विकास वॉल्कर ने आफताब की परवरिश पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मुझे तो लगता है कि आफताब ने प्लानिंग के तहत मेरी बेटी को निशाना बनाया. श्रद्धा के पिता के लिए ये वक्त एक बुरे सपने से कम नहीं है.

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विकास वॉल्कर ने कहा कि मैं इतने बड़े दुख को झेल रहा हूं जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की. विकास वॉल्कर ने आफताब के लिए फांसी की मांग की. उन्होंने कहा कि आरोपी को कम से कम फांसी तो होनी ही चाहिए. श्रद्धा के पिता ने कहा कि शुरुआत में तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि मेरी बेटी के साथ ऐसा हो सकता है. DNA सैंपल मैच होने के बाद मुझे इस बात पर यकीन हुआ, उससे पहले मुझमें एक आस जिंदा थी कि मेरी बेटी कभी लौट आएगी.

बातचीत के दौरान जब श्रद्धा के पिता से पूछा गया कि वे अपनी बेटी को बचाने के लिए क्या करते? इस पर विकास वॉल्कर ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि कभी तो वो वापस आएगी. मेरी बेटी ने जो तकलीफ उठाई, उसका मुझे अंदाजा तक नहीं था. वसई पुलिस में 2020 में जब उसने शिकायत की तो मुझे पता तक नहीं चला. अगर मुझे उस वक्त पता चलता तो मेरी कोशिश रहती कि उसे घर पर लाऊं.

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'दिल्ली वाले फ्लैट में मेरे लिए खड़ा हो पाना भी मुश्किल था'

श्रद्धा के पिता से जब पूछा गया कि क्या आपने वो जगह देखी है, जहां आपकी बेटी के साथ ये जुर्म हुआ. इसके जवाब में विकास वॉल्कर ने कहा कि पुलिस मुझे दिल्ली के उस फ्लैट में लेकर गई तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. मैं उस फ्लैट में खड़ा नहीं हो पा रहा था. वो शख्स (आफताब) पूरी घटना को बता रहा था और मुझे अजीब सा महसूस हुआ और मैं तुरंत उस फ्लैट से बाहर आ गया. फिर पुलिस मुझे जंगल लेकर गई और मुझे तब तक इस बात पर यकीन नहीं हो पा रहा था. मुझे उम्मीद थी कि ये मेरी बेटी नहीं हो सकती.

'मुझे पछतावा है लेकिन आफताब को नहीं'

विकास वॉल्कर ने कहा कि उस दरिंदे की बॉडी लैंग्वेज देखकर मैं हैरान था. मैंने सोचा कि ये दरिंदा इतनी नॉर्मल कैसे बात कर रहा है. श्रद्धा के पिता ने बताया कि DNA कंफर्म होने से पहले तो मुझे उसकी बात पर भी यकीन नहीं हुआ. लेकिन अब मुझे पछतावा है और उसे पछतावा नहीं है. वो पुलिस को भी गुमराह कर रहा है. विकास वॉल्कर ने आजतक से बातचीत में साफ कहा कि कोई हत्यारा इतना कॉन्फिडेंट तभी हो सकता है जब उसे बाहर से सपोर्ट होगा.

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आफताब ने खुद विकास वॉल्कर को बताया कि मैंने आपकी बेटी को मारा है. वो अब नहीं रही. महरौली पुलिस थाने में उसने पूरा घटनाक्रम श्रद्धा वॉल्कर के पिता को खुद बताया. उसने 5-10 मिनट की मुलाकात में खुद अपना गुनाह कबूला.

'आफताब के 70 टुकड़े होने चाहिए'

श्रद्धा के पिता ने कहा कि अगर मुझे उसकी सजा का फैसला लेना पड़े तो मैं यही चाहूंगा कि उसके 70 टुकड़े किए जाएं और पूरे भारत में बिखेरे जाएं. उस हैवान ने मेरी बेटी के 35 टुकड़े किए थे. श्रद्धा के पिता ने केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की मांग की और कहा कि उसे तुरंत सजा मिले.

परिवार के माहौल के बारे में बात करते हुए विकास वॉल्कर ने कहा कि अब बस मैं और उसका भाई बचा है. उसकी मां का पहले ही निधन हो चुका है. अब श्रद्धा का भाई बहुत दुखी है. वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. मैंने बेटे से कह रखा है कि मैं संभाल लूंगा, तू पढ़ाई पर ध्यान दे. 

'हर कोई जानना चाहता है श्रद्धा का सच'

विकास वॉल्कर ने उन दिनों को याद किया जब श्रद्धा मर्डर केस हर किसी की जुबान पर आया ही था. हर कोई उसके मर्डर के बारे में जानना चाहता था. विकास वॉल्कर ने कहा कि उस वक्त मैंने अखबार और टीवी से दूरी बना ली थी. मैं सदमे में था. मैं घर से भी नहीं निकलता था. 

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'शुरू से ही मुझे विलेन के रूप में देख रहा है समाज'

विकास वॉल्कर ने बताया कि लिवईन रिलेशनशिप में दूसरे धर्म के लड़के के साथ रहने पर पड़ोस के और परिवार के लोगों ने कैसे रिएक्ट किया. समाज के लोगों ने कहा कि बेटी को थोड़ा समझाओ, लेकिन मेरी बेटी ने मेरी बात नहीं मानी. समाज अब यही सोच सकता है कि बेटी इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती है. मेरे खानदान में आजतक ऐसी घटना नहीं हुई, कभी कोई बाहर रहने नहीं गया. लेकिन मैंने हमेशा अपनी बेटी को साथ लाने की कोशिश की. घटना के बाद समाज के लोग मुझे विलेन के रूप में देख रहे हैं.

'मुस्लिम था, इसलिए मेरी बेटी को किया टारगेट'

इस मुद्दे के धार्मिक एंगल पर श्रद्धा के पिता ने कहा कि आफताब ने मेरी बेटी का ब्रेन बॉश किया था. ये उसकी प्लानिंग लगती है. उसकी परवरिश ठीक नहीं हुई. मेरी बेटी 22-23 साल की उम्र तक बिल्कुल ठीक थी. उससे दोस्ती होने के बाद मेरी बेटी हमसे ही बगावत करने लगी. आफताब ने धर्म के नजरिए से ही मेरी बेटी को देखा और हमारे ही खिलाफ भड़काया. मेरी बेटी मुझसे प्रॉपर्टी की बातें करने लगी तो मुझे शक हुआ. श्रद्धा के पिता ने माना कि लड़का मुस्लिम नहीं होता तो हम अपनी बेटी की शादी करा देते. 
 
श्रद्धा गायब है कब पता चला? 

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विकास वॉल्कर ने बताया कि 14 सितंबर 2022 में उसके दोस्त ने बताया कि उसकी श्रद्धा से 2-3 महीनों से बात नहीं हुई है. इसके बाद मुझे शक हुआ कि मेरी बेटी मिसिंग है. 2020 में लिखकर दी गई शिकायत के वक्त भी श्रद्धा को भी पहले से ही हत्या का शक था.

आजतक के कन्सल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी ने जब पूछा कि श्रद्धा पढ़ी-लिखी लड़की थी. वो आपको ना कहने की हिम्मत रखती थी. लेकिन उसने इतने गंदे रिलेशनशिप में रहने के बाद आफताब को क्यों नहीं छोड़ा? इस पर विकास वॉल्कर ने कहा कि मेरी बेटी इस आदमी को समझ ही नहीं पाई. वो डेटिंग ऐप पर जुड़ा ही इस मकसद से था कि मेरी बच्ची को फंसा सके, उसका ब्रेनवॉश कर सके. मैंने वापस लाने की खूब कोशिश की, लेकिन मेरी बेटी ने मेरी ही नहीं सुनी. विकास वॉल्कर ने बताया कि उसका परिवार भी ऐसी ही सोच का था. आफताब के भाई ने तो एक बार मुझे और मेरी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया था. हम उसके घर बातचीत करने और सिर्फ कुछ जानकारी जुटाने के लिए गए थे. 

विकास वॉल्कर के जीवन में कितना बदलाव आया?

श्रद्धा के पिता बोले कि मुझे नहीं पता कि मैं आगे कैसे जी पाऊंगा. मैं बस मेरे बेटे के लिए जिंदा हूं. मुझमें जिंदा रहने की भी कोई इच्छा बाकी नहीं बची है. 

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आगे कोई और लड़की ऐसे दरिंदों का शिकार न हों इसके लिए क्या प्लानिंग?

विकास वॉल्कर ने कहा कि मैंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर कहा कि मेरी बेटी तो चली गई, लेकिन आगे किसी के साथ ऐसी घटनाएं न हो, इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. मैंने फडणवीस साहिब से गुजारिश की है कि छोटी बच्चियों की स्कूलिंग के समय से ही परवरिश शुरू की जाए. बच्चियों को ऐसे मामलों से निपटने के गुण सिखाए जाएं.

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