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1984 के सिख विरोधी दंगे में सजा भुगत रहे बलवान खोखर को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि आपका मामला गंभीर है. यह ऐसा आम क्रिमिनल केस नही है जहां आप उम्रकैद की सजा में से सिर्फ 9 साल काटने से पहले ही जमानत अर्जी दाखिल करें. 1984 के सिख विरोधी दंगों में सिखों को जिंदा जलाने और लूटपाट के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में दोषी करार दिए गए बलवान खोखर को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है.

SC से नहीं मिली राहत SC से नहीं मिली राहत
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:20 PM IST

1984 के सिख विरोधी दंगों में सिखों को जिंदा जलाने और लूटपाट के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में दोषी करार दिए गए बलवान खोखर को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने कहा कि ये वो मामला नहीं है जिसमें नौ साल में ही राहत की अर्जी लगा दी जाए. हमें पता चला है कि आप लोगों ने पिछले साल गर्मी की छुट्टियों में ही यहां राहत यानी जमानत पर छूटने की अर्जी लगा दी थी. आप अभी इंतजार करें.

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सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि आपका मामला गंभीर है. यह ऐसा आम क्रिमिनल केस नही है जहां आप उम्रकैद की सजा में से सिर्फ 9 साल काटने से पहले ही जमानत अर्जी दाखिल करें. नवंबर 1984 को पालम के राजनगर में पांच सिखों की हत्या के मामले में निचली अदालत के अप्रैल 2013 के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने 2013 में सुनाए अपने फैसले में सज्जन कुमार को बरी करते हुए अन्य पांच दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव व कृष्ण खोखर को सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत ने बलवान खोखर, गिरधारी लाल व भागमल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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हाई कोर्ट ने सज्जन के अलावा बलवान खोखर, कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. जबकि पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा बढ़ाते हुए 10-10 साल की जेल की सजा सुना दी. इससे पहले निचली अदालत ने महेंद्र और किशन को तीन तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी.

 

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