
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu border) से किसानों की वापसी आज शुरू हो गई है. विजय मार्च के साथ किसानों ने अपने घरों की तरफ रुख किया है. जो तंबू टेंट किसानों ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन की शुरुआत में लगाए थे, आज वह उन्हें निकाल कर पंजाब की ओर चल दिए. किसानों का सिंघु बॉर्डर से निकलना तड़के सुबह ही हो गया था. किसानों की विदाई के लिए उन पर पुष्पों की वर्षा की गई. चारों तरफ सिर्फ सिंघु बॉर्डर पर सिर्फ फूल ही फूल नजर आए.
सिंघु बॉर्डर पर खूब बंटी मिठाइयां
किसानों ने एक दूसरे को मिठाइयां खिलाईं. किसानों को मिठाइयां बांटने के लिए लोग दूर-दूर से आए थे. उत्तराखंड से आए तेजिंदर बताते हैं कि वह सुबह 4 बजे ही बॉर्डर पर आ गए थे, ताकि वह मिठाई बांट सकें. वह अपने साथ 8 क्विंटल मिठाई लेकर आए थे. सिंघु बॉर्डर पर मिठाई बांटने का सिलसिला सुबह से शाम तक चलता रहा.
महिलाओं के चेहरों पर भी दिखी खुशी
किसान आंदोलन ने कई पड़ाव देखे, लेकिन सबसे खास किसान आंदोलन की विजय मार्च में आज महिलाओं के चेहरे की खुशी दिखी. महिलाएं घर के आदमियों का साथ देने के लिए उन्हें ले जाने सिंघु बॉर्डर आई हुई हैं. 55 साल की रंजीत कौर बताती हैं कि आज यह हम सब की जीत है. रंजीत के बच्चे ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं, लेकिन वह अपने किसान भाई बहनों का साथ देने सिंघु बॉर्डर पर पिछले साल आ गई थीं. आज जीत के साथ अपने घर पंजाब वापस जा रही हैं.
जीत और घर वापसी के जश्न में खूब नाचे किसान
किसानों के विजय मार्च में किसानों का नाच गाना भी बहुत खास रहा. बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी जीत के जश्न में झूमते नजर आए. ज्ञानदीप बताते हैं कि वह आज बेहद खुश हैं, क्योंकि पिछले 1 साल से ज्यादा किसानों ने बहुत संघर्ष किया है. आज किसानों की जीत हुई है, इसलिए आज वो इस दिन को दीवाली के जैसे मना रहे हैं.
किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर जलाए पटाखे
किसानों ने आज सिंघु बॉर्डर पर पटाखे जलाएं, साथ ही जलेबियां बांटीं. दिल्ली के गुरुद्वारों से भी सिंघु बॉर्डर पर मिठाई बांटी गई. किसान अपनी ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में तिरपाल, बांस, कूलर, बर्तन, तार आदि ले जाते हुए नजर आए. किसानों की ट्रॉलियों में वह हर सामान था, जो एक घर में मौजूद होता है. बलजीत का इस पर कहना है कि वह तो 2024 की तैयारी कर कर आए थे, उन्हें खुशी है कि उन्हें इस संघर्ष में जीत जल्दी मिल गई. आज वह घर वापसी कर रहे हैं.
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद ज्यादातर किसानों का कहना है कि वह आज अपने साथ दिल्ली में बिताए 1 साल में बनाए कई रिश्तों को साथ लेकर जा रहे हैं. हरजिंदर सिंह कहते हैं कि उनके दिल्ली में कई लोगों से अच्छे संबंध बन गए हैं. दिल्ली वालों ने उनकी और सभी किसानों की बहुत मदद की है, जिसके लिए वह शुक्रगुजार भी हैं. इस भाईचारे को वह आगे लेकर जाएंगे.