
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने सोमवार को गृह मंत्रालय के आश्वासन के बाद अपना अनिश्चितकालीन अनशन खत्म कर दिया है. उनके साथ-साथ अन्य कार्यकर्ताओं ने लद्दाख भवन में अपना अनशन खत्म कर दिया. मंत्रालय ने उन्हें आश्वासन दिया है कि दिसंबर में लद्दाख की मांगों पर बातचीत फिर से शुरू की जाएगी.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने 6 अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उन्हें गृह मंत्रालय का एक पत्र सौंपा है.
पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ लगातार बातचीत कर रही है. अब समिति की अगली बैठक प्रतिनिधियों के साथ 3 दिसंबर को होगी.
इसके बाद सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों ने अपना अनशन तोड़ने का फैसला किया.
सोनम वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल कराने की लगातार मांग कर रहे हैं. वांगचुक ने 170 लोगों के साथ एक महीने पहले लद्दाख से दिल्ली के लिए पदयात्रा शुरू की थी. एक्टिविस्ट ने इससे पहले भी मार्च में 21 दिनों का अनशन किया था, इस दौरान उनके सहयोगियों ने भी 18 मार्च को एक दिन का भूख हड़ताल रखा था.
बता दें कि छठी अनुसूची के तहत असम,मेघालय, त्रिपुरा और मिजोर में स्वायत्त जिला परिषदों को बनाया गया है. इस अनुसूची के जरिए, इनको स्वायत्त जिलों के रूप में प्रशासित किया जाता है. इस अनुसूची का उद्देश्य आदिवासी समूहों के हितों की रक्षा करना है. स्वायत्त जिलों को स्थापित करने के पीछे तर्क ये दिया जाता है कि भूमि के साथ संबंध आदिवासी या जनजातीय की पहचान का आधार है. इसके जरिए उनकी संस्कृति के साथ पहचान की भी हिफाजत की जा सकती है.