
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी अब संसद के उच्च सदन राज्यसभा में दिखेंगी. कांग्रेस ने पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को राज्यसभा के जरिये संसद भेजने का फैसला किया है. सोनिया अभी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद हैं. लेकिन अगले आम चुनाव 2024 से पहले पार्टी ने सोनिया को राजस्थान से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.
माना जा रहा है सोनिया गांधी ने सेहत से जुड़े कारणों की वजह से लोकसभा की बजाय राज्यसभा से संसद जाने का फैसला किया है. सोनिया अगर राज्यसभा से संसद जाती हैं तो वे अपने निवास के रूप में 10 जनपथ को कायम रख पाएंगी. बता दें कि 10 जनपथ में सोनिया गांधी लगभग 35 सालों से रहती आ रही हैं. राजीव गांधी साल 1989 में बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में 10 जनपथ आए थे. सोनिया तभी से यहां रह रहीं हैं.
हाल के दिनों में राहुल और प्रियंका दोनों को ही लुटियंस दिल्ली से अपना आधिकारिक आवास खाली करना पड़ा था. पिछले साल अप्रैल में राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के बाद उन्हें अपना 12 तुगलक रोड वाला आवास खाली करना पड़ा था. बाद में सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल को ये बंगला वापस मिला था. लेकिन राहुल यहां नहीं आए. इसी तरह प्रियंका गांधी वाड्रा को भी सुरक्षा कारणों से आवंटित अपना बंगला 34 लोधी स्टेट खाली करना पड़ा था. ये बंगला 1997 में प्रियंका को सुरक्षा कारणों की वजह से दिया गया था.
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने इंडिया टुडे के लिए लिखे अपने एक लेख में कहा था कि सोनिया अभी पांच बार की सांसद (एक बार अमेठी, चार बार राय बरेली) हैं. हालांकि 2019 के बाद स्वास्थ्य और दूसरे कारणों की वजह सोनिया अपने संसदीय क्षेत्र में उतना सक्रिय नहीं रह पाईं जितना उन्हें रहना चाहिए था.
रशीद किदवई कहते हैं कि प्रियंका गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की संभावना और वहां से जीतने के चांसेज के बावजूद 10 जनपथ पर बने रहने से जुड़ीं चुनौतियां समाप्त नहीं हो जाती हैं. क्योंकि अगर प्रियंका जीत भी जाती हैं तो पहली मर्तबा सांसद बनने की वजह से वे 10 जनपथ जैसे वीवीआईपी लोकेशन पर आवास पाने की हकदार नहीं होंगी.
इसिलए माना जाता है कि कांग्रेस ने सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए सोनिया को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.बता दें कि 10 जनपथ, जनपथ रोड़ पर स्थित एक सरकारी आवास है. नई दिल्ली में स्थित ये घर 15181 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. इसके ठीक पीछे 24 अकबर रोड पर कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय भी है. इसलिए भी 10 जनपथ कांग्रेस के लिए अहम है. इस आवास से सोनिया के लिए राजीव से जुड़ी यादें भी हैं.
जब वो भूत इस भूत को देखेगा, तो वो भाग जाएगा- राजीव गांधी
10 जनपथ में राजीव गांधी के शिफ्ट होने की कहानी कई रोमांचक किस्सों से भरी हुई है. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई बताते हैं कि जब 1989 में राजीव यहां आ रहे थे कि सीपीडब्ल्यूडी के स्टाफ ने उन्हें यहां न आने की सलाह दी. ये वो स्टाफ थे जो दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के इन बंगलों की देख-रेख करते थे. कहा जाता है कि इन लोगों ने राजीव से कहा था कि इस बंगले में भूत है. तब उनके डर का समाधान करते हुए खुशमिजाज राजीव गांधी ने कहा था- जब वो भूत इस भूत को देखेगा, तो वो भाग जाएगा.
10 जनपथ को लेकर कई तरह के अंधविश्वास थे. ऐसा कहा जाता था कि इसके अंदर दो कब्रें थीं. लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे संजय गांधी के लिए अपशगुन लाने वाला घर माना जाता था.
10, जनपथ 1975 के आपातकाल के दौरान यूथ कांग्रेस का कार्यालय हुआ करता था जब अंबिका सोनी इसकी अध्यक्ष थीं और संजय गांधी इसके संरक्षक थे. 1977 की कांग्रेस की हार के झटके बहुत बड़े थे. तब यूथ कांग्रेस के ऑफिस को बंद कर दिया गया. कई वर्षों के बाद ये कार्यालय राजेंद्र प्रसाद रोड में खुला.
राजीव ने 10 जनपथ में देखे खून के छींटे
अफवाह तो ये भी है कि जब राजीव गांधी 1989 में इस बंगले में प्रवेश किए तो उन्हें इसके कुछ जगहों पर खून के धब्बे भी दिखाई दिए. राजीव से पहले 10 जनपथ में 1977 से 89 के बीच कुछ समय के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का दफ्तर हुआ करता था. इसके बाद कांग्रेस नेता केक तिवारी यहां रहने को आए.
किदवई के मुताबिक पुराने कांग्रेसी बताते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री भी यहां बतौर प्रधानमंत्री रहे हैं. उनके आधिकारिक आवास कॉम्पलेक्स में वो हिस्से भी हैं जो अभी 10 जनपथ का हिस्सा है.
54 सालों से नेहरू-गांधी फैमिली का निजी आवास नहीं
यह थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन नेहरू-गांधी परिवार, लगभग एक सदी से, राष्ट्रीय राजधानी में अपने प्राइवेट आवास में नहीं रहा है. ये सिलसिला तब टूटा जब हाल ही में राहुल गांधी निज़ामुद्दीन ईस्ट में किराये के आवास में नहीं चले गए.
गांधी-नेहरू परिवार का आनंद भवन (इसे 1970 में इंदिरा ने राष्ट्र को दान कर दिया) के साथ जुड़ाव तब समाप्त हो गया जब जवाहरलाल नेहरू नई दिल्ली चले गए और 7 यॉर्क रोड, जो अब मोतीलाल नेहरू मार्ग है, में रहने लगे. 1947 में स्वतंत्र भारत के प्रधान मंत्री का पद संभालने के बाद वह तीन मूर्ति भवन चले गये थे.
सत्ता से बाहर हुईं तो सिर छिपाने के लिए छत भी नहीं थी
1977 में, जब इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर कर दिया गया, तो उनके पास सचमुच में सिर छुपाने के लिए छत नहीं थी. इंदिरा की जीवनी लिख चुकीं लेखिका कैथरीन फ्रैंक के मुताबिक, फिरोज गांधी ने अपनी मौत से एक साल पहले 1959 में महरौली में जमीन खरीदी थी. सालों बाद राजीव गांधी ने वहां एक फार्महाउस बनाया था.
आपातकाल के बाद का समय, यानी 1977-78, इंदिरा गांधी के लिए परीक्षा का समय साबित हुआ. सत्ता जाने के बाद उन्होंने न केवल अपनी सारी शक्तियां खो दी थीं, बल्कि अपने पद के साथ मिलने वाला आधिकारिक निवास भी खो दिया था. उनका महरौली फार्महाउस तब आधा ही बना था, वह तेजी से दोस्तों को खो रही थी - यहां तक कि भरोसेमंद दोस्त भी साथ छोड़ रहे थे. जब उनकी परेशानियां बढ़ने लगीं, तो परिवार के वफादार मोहम्मद यूनुस ने इंदिरा और उनके परिवार को अपना निजी आवास, 12 विलिंगडन क्रिसेंट, देने की पेशकश की.
एक ही बंगले में रहे इंदिरा, राजीव, सोनिया, संजय, मेनका
मोहम्मद यूनुस स्वयं दक्षिण दिल्ली में एक बंगले में चले गए. इस प्रकार, 12 विलिंग्डन क्रिसेंट गांधी परिवार का घर बन गया. इंदिरा, राजीव, उनकी पत्नी सोनिया, उनके बच्चे, राहुल और प्रियंका, संजय, मेनका और पांच कुत्ते - सभी वहां चले गए. इतने बड़े परिवार के बाद वहां किसी भी राजनीतिक गतिविधि के लिए लगभग कोई गुंजाइश या जगह नहीं बची.
रशीद किदवई बताते हैं कि 2009 में अमेठी से नामांकन दाखिल करते समय हलफनामे में राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि उनके पास कोई घर नहीं है. जुलाई 2020 में, प्रियंका गांधी ने अपना 34, लोधी एस्टेट घर खाली कर दिया, जो उन्हें 'सुरक्षा आधार' पर दिया गया था. तब से प्रियंका खान मार्केट के पास सुजान सिंह पार्क में रह रही हैं, जहां उन्होंने एक 2BHK घर किराए पर लिया है. उनका कार्यालय 10 जनपथ के एक पोर्टा केबिन में चल रहा है. उनके व्यवसायी पति रॉबर्ट वाड्रा के पास गुरुग्राम में आलीशान आवास है.