
मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. चर्चा है कि संसद का विशेष सत्र नए संसद भवन में होगा. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सत्र 18 सितंबर को पुरानी बिल्डिंग में शुरू होगा, लेकिन 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर नए संसद भवन में शिफ्ट होगा.
28 मई को हुआ था उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को देश की पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया था. नया संसद भवन कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. त्रिकोण के आकर की नई संसद भवन सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाई गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नई संसद की आधारशिला रखी थी. टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नए संसद भवन का निर्माण किया है. इस बिल्डिंग को चर्चित आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने डिजाइन किया है. बिमल पटेल गुजरात के अहमदाबाद शहर से आते हैं. वो इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं.
नए संसद भवन में ये सुविधाएं
इस भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल बनाया गया है. नए संसद भवन में संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान भी है.
अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है तो एक समय में इसमें 1,280 सांसद बैठ सकेंगे. मौजूदा संसद भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 240 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. मौजूदा संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था.
नए संसद भवन के तीन मेन गेट हैं. ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार. वीआईपी, सांसदों और विजिटर्स की एंट्री अलग-अलग गेट से होगी. नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है.
कितनी है नए संसद भवन की लागत
नया संसद भवन चार मंजिला है. ये पूरा कैम्पस 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है. इसकी लागत 862 करोड़ रुपये है. नए भवन में एक संविधान हॉल है, जिसमें भारतीय लोकतंत्र की विरासत को दिखाया गया है.
विशेष सत्र को लेकर लग रहे कई कयास
संसद के विशेष सत्र का एजेंडा क्या होगा, इसकी जानकारी अभी तक सरकार की ओर से नहीं दी गई है. ऐसे में इसके एजेंडे को लेकर तमाम तरह के कयास लग रहे हैं. कहा जा रहा है कि सरकार वन नेशन, वन इलेक्शन को बिल ला सकती है. इसके अलावा महिला आरक्षण पर बिल लाने की भी चर्चा है.
इतना ही नहीं चर्चा है कि संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार संविधान से 'इंडिया' शब्द हटाने का प्रस्ताव ला सकती है. इस चर्चा को बल इसलिए भी मिलता है, क्योंकि G-20 समिट के लिए राष्ट्रप्रमुखों को राष्ट्रपति की ओर से जो न्योता भेजा गया है, उसमें 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा है. जबकि, अब तक 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' लिखा जाता था. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भी सोमवार को कहा था कि लोगों को 'इंडिया' की बजाय 'भारत' कहना चाहिए.