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Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका के 4 और तमिल नागरिक रामेश्वरम पहुंचे, अब तक 133 लोगों ने भारत में ली शरण

श्रीलंका से रामेश्वरम आए चार श्रीलंकाई तमिल एक ऑटो में सवार हो गए और मंडपम मरीन थाने गए. मंडपम मरीन पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला कि ये चारों श्रीलंका में युद्ध के समय 2006 में शरणार्थी के रूप में तमिलनाडु आए थे. उन्होंने कहा कि वे 2006 से मंडपम शिविर में रहे और 2019 में श्रीलंका वापस चले गए. 

3 बच्चों के साथ भारत आ गई श्रीलंकाई नागरिक 3 बच्चों के साथ भारत आ गई श्रीलंकाई नागरिक
अक्षया नाथ
  • चेन्नई,
  • 13 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और वहां के लोगों को भोजन और बुनियादी आवश्यक चीजों की सख्त जरूरत है. श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट की वजह से आज सुबह करीब 4 बजे श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी बनकर तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे हैं. मार्च 2022 से अबतक129 श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी के रूप में धनुषकोड़ी आ चुके हैं. 

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श्रीलंका से इस बार आने वाले लोगों में जयमालिनी (50), उनके दो बेटे पतुरजन (26), हम्सिगन (22) और बेटी पातुसिका (19) हैं. ये श्रीलंका के त्रिंकोमाली के निवासी हैं. इन्होंने नाव से मन्नार, श्रीलंका से यात्रा की और रामेश्वरम आए. 

2006 में भी बनकर आए थे शरणार्थी

रामेश्वरम आए चार श्रीलंकाई तमिल एक ऑटो में सवार हो गए और मंडपम मरीन थाने गए. मंडपम मरीन पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला कि ये चारों श्रीलंका में युद्ध के समय 2006 में शरणार्थी के रूप में तमिलनाडु आए थे. उन्होंने कहा कि वे 2006 से मंडपम शिविर में रहे और 2019 में श्रीलंका वापस चले गए.  

अब तक श्रीलंकाई शरणार्थियों की संख्या 133 हुई

केंद्रीय और राज्य के खुफिया अधिकारियों द्वारा पूछताछ के बाद उन्हें मंडपम रिफ्यूजी कैंप भेज दिया गया है. इन चारों को मिलाकर श्रीलंका से तमिलनाडु आए शरणार्थियों की संख्या अब 133 हो गई है. 

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श्रीलंका में खाने का संकट 

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. दवा, रसोई गैस, ईंधन और टॉयलेट पेपर जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है, जिससे श्रीलंकाई लोगों को ईंधन और रसोई गैस खरीदने के लिए दुकानों के बाहर घंटों कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि श्रीलंका में 63 लाख लोग यानी 28.3 प्रतिशत आबादी के सामने खाने का संकट है.

देश को विदेशी कर्ज ने किया तबाह 

श्रीलंका में पेट्रोल बचत के लिए सरकार ने स्कूल और कॉलेज पहले से बंद कर दिए हैं. वहीं सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कह दिया गया है. इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई. कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया. बताया जा रहा है कि आजादी के बाद श्रीलंका के सामने यह अब तक का सबसे बड़ा संकट है. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए भारत इस साल विदेशी सहायता का प्रमुख स्रोत रहा है.

 

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