
चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में हो रहे चुनावों के बीच सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की नई खेप जारी करने की इजाजत दे दी है. इलेक्टोरल बॉन्ड की 16वीं खेप की बिक्री आज यानी 1 अप्रैल से 10 अप्रैल के बीच होगी.
गौरतलब है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के द्वारा कोई भी व्यक्ति या संस्था पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ किसी भी राजनीतिक दल को चंदा दे सकता है.
चार राज्यों में चुनाव को देखते हुए 17 मार्च से ही आचार संहिता लागू है. इसलिए इन बॉन्डों को जारी करने के लिए चुनाव आयोग से भी अनापत्ति हासिल की गई है. इसके पहले इलेक्टोरल बॉन्ड के 15वें खेप की बिक्री 1 से 10 जनवरी 2021 को की गई थी.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'भारतीय स्टेट बैंक को अपने 29 अधिकृत ब्रांच के द्वारा 1 अप्रैल से 10 अप्रैल 2021 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड के 16वें चरण को जारी करने और इसको इनकैश करने की मंजूरी दी गई है.'
इन शहरों में खरीदे जा सकेंगे
भारतीय स्टेट बैंक के जिन 29 ब्रांच पर इलेक्टोरल बॉन्ड हासिल किए जा सकते हैं वे इन शहरों में स्थित हैं-कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, तिरुअनंतपुरम, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला, श्रीनगर, देहरादून, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर, मुंबई और लखनऊ.
सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इंकार
गौरतलब कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कुछ लोगों ने यह मांग की थी कि चुनाव के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाई जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन बॉन्ड की बिक्री रोक लगाने से इंकार कर दिया.
क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड
सरकार ने इस दावे के साथ साल 2018 में इस बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं.
यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं. इसके लिए ग्राहक बैंक की शाखा में जाकर या उसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन जाकर इसे खरीद सकता है.
इलेक्टोरल बॉन्ड के पहले खेप की बिक्री 1 से 10 मार्च 2018 को की गई थी. कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में रजिस्टर्ड, स्थापित संस्था इन इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद सकती है. इस बॉन्ड के द्वारा उन राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है जिन्होंने पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1 फीसदी वोट हासिल किए हों.
यह बॉन्ड सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा जारी किए जाते हैं. यह बॉन्ड जारी किए जाने के 15 दिन तक वैध होते हैं. यानी इसके बाद यदि इसे कोई राजनीतिक दल जमा करेगा तो उसे कोई रकम नहीं मिलेगी. जिस दिन बॉन्ड जमा होता है, उसी दिन राजनीतिक दल के खाते में पैसा आ जाता है.
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड की खूबी
कोई भी डोनर अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता है. ये व्यवस्था दानकर्ताओं की पहचान नहीं खोलती और इसे टैक्स से भी छूट प्राप्त है.
जारी होने की तिथि से 15 दिनों की वैधता वाले बॉन्ड 1000 रुपए, 10000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में जारी किए जाते हैं. खरीदार को बैंक में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) फॉर्म जमा करना होता है.
सियासी दल एसबीआई में अपने खातों के जरिए बॉन्ड को भुना सकते हैं. यानी ग्राहक जिस पार्टी को यह बॉन्ड चंदे के रूप में देता है वह इसे अपने एसबीआई के निर्धारित एकाउंट में जमा कर भुना सकता है. पार्टी को नकद भुगतान किसी भी दशा में नहीं किया जाता और पैसा उसके निर्धारित खाते में ही जाता है.