
पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सरकारी बंगला खाली करने के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राघव चड्ढा को टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश दिया है. राज्यसभा सचिवालय के वकील ने दलील देते हुए कहा था कि राज्यसभा सांसद होने के नाते राघव चड्ढा को टाइप 6 बंगला आवंटित करने का अधिकार है, न कि टाइप 7 बंगला.
राज्यसभा सचिवालय के नोटिस के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए थे राघव चड्ढा
राज्यसभा सचिवालय के नोटिस के खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुंच गए थे. इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा को बंगला खाली करने के मामले में लगाई अंतिम रोक को हटा दिया है. पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा को बंगला खाली करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय के बंगला खाली करने के नोटिस को सही ठहराया है.
'आवास को रद्द करने का फैसला मनमाना'
राज्यसभा सचिवालय द्वारा आवंटित आवास रद्द करने को लेकर AAP सांसद राघव चड्ढा की प्रतिक्रिया सामने आई है. अपने बयान में उन्होंने कहा कि, सबसे पहले तो मेरे लिए आवंटित आधिकारिक आवास को बिना किसी सूचना के रद्द करना मनमाना था. राज्यसभा के 70 से अधिक वर्षों के इतिहास में यह ऐसा आश्चर्यजनक मौका है, कि एक मौजूदा राज्यसभा सदस्य को उसके विधिवत आवंटित आवास से हटाने की मांग की जा रही है, जहां वह कुछ समय से रह रहा है और राज्यसभा सदस्य के रूप में उसका कार्यकाल 4 साल से अधिक का है और अभी भी बाकी है.
'आवास रद्द करने के आदेश में अनियमितताएं'
चड्ढा ने कहा कि उक्त आदेश में कई अनियमितताएं हैं और इसके बाद राज्यसभा सचिवालय द्वारा नियमों और विनियमों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए कदम उठाए गए. पूरी कवायद के तरीके से मेरे पास यह मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि यह सब भाजपा के आदेश पर अपने राजनीतिक उद्देश्यों और निहित स्वार्थों को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है ताकि मेरे जैसे मुखर सांसदों द्वारा उठाई गई राजनीतिक आलोचना को दबाया जा सके.
भाजपा पर लगाया परेशान करने का आरोप
राघव चड्ढा ने कहा कि उक्त आवास का आवंटन राज्य सभा के माननीय सभापति की ओर से स्वयं मेरी सभी विशिष्टताओं को ध्यान में रखने के बाद किया गया था. हालांकि बाद में बिना किसी कारण या कारण के आवास रद्द करना यह संकेत देता है कि पूरी कार्रवाई मुझे टारगेट करने और परेशान करने के लिए की गई थी. संसद सदस्य के रूप में मेरे निलंबन के साथ, जो सत्ता पक्ष द्वारा शुरू किया गया था, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा मुखर सांसदों को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
'कई सांसदों को पात्रता से बढ़कर आवास आवंटित'
यह इस तथ्य से भी उजागर होता है कि मेरे कई पड़ोसी पहली बार सांसद बने हैं, जिनमें सुधांशु त्रिवेदी, दानिश अली, राकेश सिन्हा और रूपा गांगुली भी शामिल हैं. सभी को उनकी पात्रता से बढ़कर वही आवास आवंटित किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि 240 में से लगभग 118 राज्यसभा सदस्य अपनी पात्रता से अधिक आवासों में रह रहे हैं, लेकिन सदन में भाजपा का कड़ा विरोध करने वाले और स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने वाले मुखर प्रतिनिधियों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाना और हस्तक्षेप करना एक खेदजनक स्थिति है.
ट्रायल कोर्ट ने शुरू में मेरी याचिका स्वीकार कर ली थी और मुझे अंतरिम राहत दी थी. इसने अब मेरे मामले को कानूनी तकनीकीता पर लौटा दिया है, जिसके बारे में मुझे कानूनी रूप से सलाह दी गई है कि यह कानून की गलत समझ पर आधारित है. मैं उचित समय पर कानून के तहत उचित कार्रवाई करूंगा. उन्होंने कहा कि चाहे जो हो जाए, मैं पंजाब और देश के लोगों की आवाज निडरता से उठाता रहूंगा, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े.