
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने आज 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शिरकत की है. उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग एक अहम बैठक भी संपन्न हो चुकी है. अब इन बैठकों के बीच क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने जापानी पीएम के सामने एक मांग रख दी है.
उन्होंने कहा कि नेताजी की अस्थियां टोक्यो में स्थित Renkoji मंदिर हैं और अब उनकी डीएनए टेस्टिंग की जानी चाहिए. ट्वीट में लिखा गया है कि हमारी जापान के पीएम से अपील है कि वे Renkoji मंदिर में मौजूद सुभाष चंद्र बोस की अस्थियों की डीएनए टेस्टिंग करवाएं और फिर उन्हें भारत वापस लाया जाए. वो धरती जिसे उन्होंने अंग्रेजों के कब्जे से छुड़वाया था.
अब जानकारी के लिए बता दें कि कुछ जानकार मानते हैं कि रेंको जी मंदिर जापान के मशहूर पर्यटन स्थल में से एक हैं. दावा किया जाता है कि इसी मंदिर में नेताजी की अस्थियां रखी हुई हैं. हर साल इस मंदिर को 14 अगस्त को आम जनता के लिए खोला जाता है. 9 दिसंबर 2001 को तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस मंदिर में आए थे. यहां आकर वाजपेयी ने लिखा था, "मुझे रेंको जी दोबारा आकर प्रसन्नता हुई, जहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृतियां सुरक्षित हैं.
अब दावे तो हर बार हुए हैं, लेकिन इस मुद्दे पर विवाद कभी शांत नहीं हुआ. साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा मुखर्जी आयोग का गठन किया गया था. आयोग के अध्यक्ष जस्टिस मनोज कुमार मुखर्जी रेंको जी टेम्पल गए थे और जिस लकड़ी के बॉक्स में नेताजी की अस्थियां रखी होने का दावा था, वो बॉक्स उनसे खुल नहीं सका था. बाद में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि बॉक्स के अंदर भूरे रंग के कागज में हड्डियों के टुकड़े और जबड़ों की हड्डी का सेट रखा है.
इन्हीं दावों के दम पर सुभाष चंद्र बोस का परिवार डीएनए टेस्टिंग की मांग करता है. अभी तक ये पूरी तो नहीं हुई है लेकिन अब जब जापान के पीएम भारत आए हैं, परिवार ने फिर अपनी मांग को तेज कर दिया है.