
नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर जमींदोज किए जा चुके हैं. ट्विन टावर को बनाने में नियमों के उल्लंघन के जो आरोप लगे थे, उसपर अब सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने अपना पक्ष रखा है. उनका कहना था कि एमरल्ड कोर्ट में ट्विन टावर के निर्माण करते वक्त किसी तरह से नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ था.
आरके अरोड़ा ने दावा किया कि ट्विन टावर एमरल्ड कोर्ट में बनने थे, यह पहले से तय था. लेकिन उनकी हाइट 40 मंजिल तक बढ़ाने की इजाजत बाद में ली गई थी.
आरके अरोड़ा का कहना था कि उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा था. उनके मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने टावर तोड़ने का ऑर्डर इसलिए दिया क्योंकि ट्विन टावर की हाइट बढ़ाने से पहले वहां पहले से मौजूद 15 टावर के लोगों से अनुमति नहीं ली गई थी. अरोड़ा ने इसपर भी अपनी सफाई दी. वह बोले कि यह अनुमति लेने का काम अथॉरिटी का था. जिसका प्रोविजन 2014 में स्टार्ट किया गया था.
'मैं पूरी रात सो नहीं सका...'
रविवार को जब ट्विन टावर गिराए गए तो क्या आरके अरोड़ा ने उनको देखा? इस सवाल के जवाब में सुपरटेक के चेयरमैन ने कहा, 'जब सुबह ट्विन टावर गिराए जाने थे, उस पूरी रात मुझे नींद नहीं आई. मुझे यही चिंता थी कि टावर गिरने पर आसपास की इमारतों को नुकसान ना पहुंचे. इसलिए ही हम सबसे बेहतर बिल्डिंग गिराने वाली एक्सपर्ट कंपनी को लेकर आए थे.'
अरोड़ा ने आगे कहा कि टावर का गिराया जाना उनके लिए काफी दुखद पल था. वह बोले कि हमने टावर गिराने कि लिए पैसे दिए. साथ ही टावर में मकान खरीद चुके लोगों के पैसे भी ब्याज समेत लौटाए.
आरोपों पर क्या बोले आरके अरोड़ा?
ट्विन टावर के मामले में सुपरटेक पर कई तरह के आरोप लगे. पहला यह कि प्लान में ट्विन टावर नहीं थे, फिर भी उनको बनाया गया. क्या गार्डन की जगह पर बने थे ट्विन टावर? इस सवाल के जवाब में अरोड़ा ने कहा कि प्रोजेक्ट दो फेज में पूरा होना था. पहले फेज में 15 टावर बने और उनको लोगों को सौंपा गया. दूसरे फेज में आगे काम होना था. हमारे ब्रोशर में दूसरे फेज के लिए जगह को खाली दिखाया गया था. लेकिन उसको आपत्ति जताने वालों ने ग्रीन एरिया बताया. लेकिन उसको हमेशा फ्यूचर प्लानिंग के लिए खाली जगह दिखाया गया था. फ्यूचर प्लान से यहां मतलब ट्विन टावर था. इसके लिए पार्किंग, ग्रीनरी सब तैयार की गई थी.
क्या फायर सेफ्टी नॉर्म का ध्यान नहीं रखा गया? इस आरोप पर आरके अरोड़ा ने कहा कि ऐसा नहीं है. वह बोले कि फायर सेफ्टी नॉर्म के हिसाब से इमारतों के बीच में 6 मीटर की जगह होनी चाहिए और ट्विन टावर में यह 9 मीटर के करीब रखी गई थी.
क्या नक्शे में नियमों का ताक पर रखा गया? इसपर अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने अमार्टमेंट एक्ट का उल्लंघन नहीं किया है. क्योंकि जिस दौरान 2009 में नक्शा पास कराया गया था तब नोएडा अथॉरिटी ने अपार्टमेंट एक्ट लागू ही नहीं किया था.
9 सेकेंड में गिरा दिए गए ट्विन टावर
लंबे इंतजार के बाद 28 अगस्त रविवार को 2 बजकर 31 मिनट पर ट्विन टावर में ब्लास्ट किए गए. इसी के साथ 103 मीटर और 94 मीटर के ये टावर जमींदोज हो गए. टावर के गिरते ही धूल के गुबार ने आसपास की सारी इमारतों को ढक दिया था. इस धूल को कम करने के लिए नोएडा अथॉरिटी ने खास व्यवस्था की हुई थी. करीब 100 वाटर टैंकर और तीन सौ सफाई कर्मचारियों ने इस धूल पर काबू पाया जिससे लोग राहत की सांस ले सके.
ट्विन टावर के करीब रहनेवाले लोग करीब सात बजे से अपने घरों में लौटने लगे. इन टावर को 3700 किलो बारूद से उड़ाया गया. ब्लास्ट से पहले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटाया गया था.
17 करोड़ 55 लाख में गिराए गए ट्विन टावर
सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17 करोड़ 55 लाख रुपए का खर्च आया. सभी नियमों को ताक पर रखकर बने इन टावरों को एक रिवाइज्ड बिल्डिंग प्लान के तहत अप्रूवल मिला था. दोनों टावर की मौजूदा वैल्यू सात सौ से आठ सौ करोड़ रुपये आंकी जा रही थी.
नोएडा के इन ट्विन टावर को गिराने के लिए 9 साल तक अदालतों में सुनवाई चली थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ट्विन टावर के गिराने का रास्ता साफ हुआ था. अगस्त, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इमारतों को गिराने का फैसला दिया था.
गैर कानूनी तरीके से बने इन दोनों टावर को गिराने का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में आदेश दिया था. लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में जाकर फाइनल हुआ. नोएडा में सुपरटेक कंपनी को टावर बनाने के लिए 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी.