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बिलकिस बानो केस: सुनवाई के लिए अलग बेंच गठन करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट

बिल्किस की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि उनके द्वारा फरवरी में भी मामले का उल्लेख किया गया था, लेकिन अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है. सीजेआई ने कहा 'विशेष बेंच का गठन किया जाना है. मैं रजिस्ट्रार से जस्टिस रस्तोगी से पूछने और तारीख लेने के लिए कहूंगा. आज हम उनसे तारीख लेंगे.' 

सुनवाई के लिए अलग बेंच गठन करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए अलग बेंच गठन करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST

बिलकिस बानो केस में बलात्कार और हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराए गए 11 दोषियों को दी गई छूट पर जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऐसा कहा है. बानो के वकील द्वारा मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए कहे जाने के बाद, CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वह आज मामले को सूचीबद्ध करने के लिए एक तारीख आवंटित करेगी.

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बिल्किस की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि उनके द्वारा फरवरी में भी मामले का उल्लेख किया गया था, लेकिन अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है. सीजेआई ने कहा 'विशेष बेंच का गठन किया जाना है. मैं रजिस्ट्रार से जस्टिस रस्तोगी से पूछने और तारीख लेने के लिए कहूंगा. आज हम उनसे तारीख लेंगे.' 

मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को अगस्त में गुजरात की 1992 की रेमिशन पॉलिसी के तहत रिहा कर दिया गया था, जब सजा में छूट के लिए उनके आवेदन की अनुमति दी गई थी. इन लोगों को 2008 में बानो के रेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या का दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

चूंकि दोषियों को रिहा कर दिया गया है, इसलिए SC के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई हैं और पहले से ही उन पर सुनवाई की जा रही है. पहली याचिका पर 25 अगस्त 2022 को पूर्व CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने नोटिस जारी किया था. मामले की सुनवाई जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुवाई वाली बेंच कर रही है.

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इन्हीं याचिकाओं में गुजरात सरकार ने एक हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि इन 11 दोषियों को अच्छे व्यवहार और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 14 साल की सजा पूरी करने के बाद रिहा किया गया था. जब मामलों को अंतिम रूप से सूचीबद्ध किया गया था, तब न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने बिलकिस बानो की याचिका और उनके मामले में दोषियों की जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली कुछ अन्य याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

 

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