
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमणा ने केंद्र से दूरदराज के इलाकों में वकीलों के लिए हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने का अनुरोध किया है. तालुका केंद्रों में इंटरनेट की स्पीड अच्छी नहीं है और इस कारण सुनवाई के दौरान वकील कोर्ट से ऑनलाइन नहीं जुड़ पाते.
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आरवी रवींद्रन द्वारा "एनोमैलिस इन लॉ एंड जस्टिसः राइटिंग्स रिलेटेड टू लॉ एंड जस्टिस" के लिए एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए, जस्टिस रमणा ने कहा कि उन्होंने हाल ही में केंद्रीय सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर शहरों और अधीनस्थ न्यायालय स्तर पर वकीलों के बीच डिजिटल डिवाइड के मुद्दे पर लिखा था.
CJI जस्टिस रमणा ने कहा, "मैंने MEITY और कानून मंत्री से कहा है कि वे तालुका केंद्रों में दूरसंचार कंपनियों से बात करें ताकि वकीलों को अदालतों से जुड़ने के लिए निर्बाध रूप से इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई जा सके." उन्होंने बताया कि हाल ही में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के साथ आयोजित एक सम्मेलन के दौरान कनेक्टिविटी का मुद्दा उठाया गया था.
न्यायिक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव: CJI रमणा
CJI ने चिंता व्यक्त की कि ग्रामीण, आदिवासी, दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में खराब कनेक्टिविटी न्यायिक कार्यों की गति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं और देशभर के हजारों युवा वकीलों को उनकी आजीविका से वंचित कर रही है. जस्टिस रमणा ने कहा कि डिजिटल डिवाइड के कारण वकीलों की एक पूरी पीढ़ी को सिस्टम से बाहर किया जा रहा है.
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दूरदराज इलाकों में इंटरनेट की बढ़िया स्पीड को लेकर CJI एनवी रमणा ने मौजूदा पैनल के सामने खुलासा करते हुए कहा, "मैंने खुद टेलीकॉम कंपनियों को फोन करने और उन्हें बेहतर इंटरनेट एक्सेस को लेकर दूरदराज के इलाकों में बूस्टिंग सिस्टम प्रदान करने के लिए कहने के बारे में सोचा था, लेकिन इस पर विचार करने के बाद मैंने उन्हें कॉल करने के बजाय MEITY और कानून मंत्री को टेलीकॉम कंपनियों से बात करने के लिए कहा है."
बहुत ही गंभीर मुद्दाः CJI रमणा
उन्होंने कहा, "यदि आप उन वकीलों की देखभाल नहीं करते हैं जिनके पास सुविधाएं नहीं हैं, तो दूरदराज के इलाकों में वकीलों की पूरी पीढ़ी को व्यवस्था से बाहर कर दिया जाएगा, जो एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है." केंद्रीय मंत्री को भी पत्र भेजा गया है.
सरकार से उन अधिवक्ताओं की मदद करने के लिए एक तंत्र विकसित करने का आह्वान किया है, जो महामारी के कारण आजीविका खो चुके हैं और जिन्हें वित्तीय सहायता की सख्त जरूरत है.
CJI कार्यालय के अनुसार, कानूनी पेशेवरों और संबंधित पदाधिकारियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने की आवश्यकता और उन सभी को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण की आवश्यकता को मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रभारी मंत्री से अनुरोध किया गया है. मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी व्यवस्था में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर आयोजित पैनल चर्चा के दौरान यह बयान दिया.