
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि भले ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण कम हो गया हो, लेकिन हम इस मामले पर सुनवाई बंद नहीं करेंगे. सुनवाई जारी रहेगी और हम आदेश देते रहेंगे.
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, लगभग हर रोज या दूसरे दिन प्रदूषण के बारे में सुनने को मिलता है. अभी AQI 381 पर है. हो सकता है कि आपका 290 का आंकड़ा ठीक न हो. मुझे नहीं लगता कि प्रदूषण में कोई खास बदलाव आया है. प्रदूषण थोड़ा कम हुआ है. लेकिन आगे ये फिर से गंभीर हो सकता है. ऐसे में आने वाले समय के लिए कदम उठाएं.
स्थिति ठीक हुई तो हट सकते हैं प्रतिबंध
उधर, दिल्ली सरकार ने स्कूलों को 29 नबंवर तक बंद कर दिया है. इसके अलावा वर्क फ्रॉम होम भी 29 नवंबर तक बढ़ा दिया है. दिल्ली में निर्माण पर भी पाबंदी जारी रहेगी. ऐसे में चीफ जस्टिस ने कहा, हम इस मामले पर सोमवार को फिर सुनवाई करेंगे. अगर AQI तेजी से नीचे जाता है. 200 तक पहुंचता है, तो हम प्रतिबंध हटाने पर विचार कर सकते हैं.
मजदूरों को पैसा दे सरकारें
CJI ने केंद्र से कहा कि अब निर्माण मजदूर हमारे पास आए हैं कि हमें काम करने की इजाजत दीजिए. कल किसान आ जाएंगे कि हमें पराली जलाने की इजाजत दीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, लेबर वेलफेयर फंड में कितना पैसा है? कोर्ट ने पूछा जितने दिनों तक काम बंद रहा यानी 4 दिनों का मजदूरों को कुछ पैसा मिलना चाहिए. राज्यों को मजदूरों को पैसा देना चहिए ताकि वो जीविका को चला सकें.
हालात की समीक्षा करते रहेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम प्रदूषण के मामले को बंद नहीं करेंगे. हालात की समीक्षा करते रहेंगे. फाइनल आदेश भी जारी करेंगे. इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा, सरकार पराली प्रबंधन पर रिपोर्ट दे. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि समस्या से वैज्ञानिक आधार पर निपटना होगा.
जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि गोवर्धन मॉडल क्यों नहीं अपनाया जाता? यूपी हरियाणा पंजाब से पराली को उन राज्यों में भेजा जा सके जहां गाय के चारे की कमी है. सीजेआई ने कहा, आपको पराली जलाने को रोकने के लिए प्रबंधन करना होगा. वरना ये बड़ी समस्या बन जाएगी.