
विवाह के बगैर गर्भवती हुई युवती की उलझन और उसके अजन्मे बच्चे के भविष्य पर CJI चेंबर में भावुक चर्चा हुई. माइ लॉर्ड और न्यायिक अधिकारी सब वात्सल्य भाव से भरे दिखे. कोर्ट में तो सब संयत दिखे लेकिन चेंबर में सबका वात्सल्य उमड़ता हुआ दिखा. कोर्ट रूम में जब भावों की लहर निशान पार करती दिखी तो मामला चेंबर में पहुंच गया. चीफ जस्टिस के चेंबर में चाय की चुस्कियों के बीच चालीस मिनट चर्चा चली.
सबसे ज्यादा टेंशन तब हुई जब चीफ जस्टिस के चेंबर में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि वो नियमित तौर पर युवती से सुबह दोपहर शाम बातें करती हैं. लेकिन सुबह से युवती का फोन नहीं उठा तो सब चिंतित हो गए. हालांकि, बैठक का अंत होने तक युवती ने फोन उठाया बात हुई और सब के चेहरे पर खुशी और संतोष की मुस्कान फैल गई.
यानी CJI के चेंबर में लगभग पौन घंटे उस नन्हीं सी जान की सार संभाल लालन पालन के लिए सभी लालायित दिखे, जिसने अब तक धरती पर आंखें भी नहीं खोली हैं. चिंता उस भावी मां की भी जिसे अभी अपने दिल दिमाग और दुनिया की चुनौतियों का सामना करना है.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में आया मामला
ये मुकदमा पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में आया, लेकिन वाकया गुरुवार का है. सुप्रीम कोर्ट की सभी पीठ में सामान्य सुनवाई चल रही थी. चीफ जस्टिस के कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के साथ पीठ में जस्टिस पामिडिघंतम नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला सुनवाई में व्यस्त थे. मामला आया उस युवती का जो 30 हफ्ते की गर्भवती है, लेकिन किसी भी कीमत पर बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती थी.
गर्भपात खतरनाक हो सकता है
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय में गर्भपात खतरनाक हो सकता है. गर्भ को समाप्त करना शिशु की हत्या करना होगा. सुनवाई में ये तो तय हो गया कि इंजीनियरिंग के फाइनल इम्तिहान देने के बाद युवती को जिंदगी और खासकर मातृत्व का सबसे बड़ा इम्तिहान देना होगा. क्योंकि वो बेहद तनाव में है. इस अवस्था में तनाव उसके लिए काफी खतरनाक है.
कई तरह की मुश्किल
उसी बीच एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वो शिशु को अपनाने को राजी हैं. जो भी बच्चा हो वो उनको दे दिया जाए. लेकिन बात पहचान उजागर होने की उठ गई. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और ASG ऐश्वर्या भाटी को चेंबर में आने को कहा और बेंच उठ गई.
करीब 40 मिनट तक चेंबर के भीतर में तीनों जजों के साथ साथ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व एएसजी ऐश्वर्या भाटी गहन विचार विमर्श में डूबे रहे. सब अपने अपने दिल की बातें सामने ला रहे थे. सबकी चिंता ये थी कि कुछ हफ्तों बाद धरती पर आने वाली एक मजबूर मन की नन्ही जान का भविष्य और जीवन कैसे संवारा जाए.
20 साल की अविवाहित छात्रा को कराना था गर्भपात
दरअसल, 20 साल की एक अविवाहित छात्रा को गर्भपात कराना था. लेकिन 29 हफ्ते का गर्भ होने पर वो कोर्ट आई. छात्रा इस बच्चे को अपने पास नहीं रखना चाहती. मामला इतना संवेदनशील है कि छात्रा की मां तक को इसकी जानकारी नहीं दी गई है. क्योंकि पिछले साल अपने पति को खो चुकी युवती की मां खुद महीनों डिप्रेशन में रही. उधर एम्स के मेडिकल बोर्ड ने साफ कर दिया कि अब गर्भपात नहीं कराया जा सकता.
सूत्रों के मुताबिक चेंबर में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को बताया कि एक समय तो वो भी किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना चाहते थे. उन्होंने सुझाव दिया कि युवती के शिशु के लालन पालन के लिए एक दंपति की तलाश भी पूरी हो गई है जिसे कानूनी खानापूरी कर नियमों के मुताबिक बच्चा गोद दिया जा सकता है. ये सारी जानकारी बच्चे के भविष्य को देखते हुए गोपनीय रखी जाए.
जस्टिस चंद्रचूड़ भी इस मुद्दे पर बेहद संवेदनशील नजर आए
जानकारों के मुताबिक जस्टिस चंद्रचूड़ भी इस मुद्दे पर बेहद संवेदनशील नजर आए. हालांकि उनके भी दो दिव्यांग बेटियां हैं जिनको उन्होंने गोद लिया है. उन्होंने अपने दिल की बात रखी कि इस मामले में उन्होंने अपने घर में भी बात की है. उनके घर में चर्चा हुई कि शिशु के भविष्य को लेकर चंद्रचूड़ परिवार क्या कर सकता है?
पीठ के अन्य दोनों सदस्य जस्टिस नरसिम्हा और जस्टिस पारदीवाला भी इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राय दे रहे थे. पीठ के तीनों ही न्यायमूर्ति शिशु को अपनाने को लालायित दिखे. लेकिन कई तरह की मुश्किलें और मजबूरियां भी इस हसरत की राह में आड़े आ रही थीं. उनकी भी चर्चा उन्होंने खुले दिल से की.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक छात्रा के साथ लगातार संपर्क में रहने वाली ASG ऐश्वर्या भाटी ने ये भी कहा कि जरूरत पड़ी तो वो भी उसे अपने पास रखने को राजी है. कारीब पौने घंटे चेंबर में सबके दिल खुले और फिर एक रास्ता निकल गया. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण न्याय के लिए संविधान प्रदत्त अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स को विशेष जिम्मेदारी दी.
CARA में रजिस्टर्ड हुए दंपति को उचित तरीके से गोद दिया जाए
पीठ ने एम्स को युवती के सुरक्षित प्रसव और स्वास्थ्य और कल्याण व देखरेख की जिम्मेदारी सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सौंपी दी. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सलाह के बाद शिशु के जन्म के बाद उसे गोद देने के लिए सेन्ट्रल एडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी यानी CARA में रजिस्टर्ड हुए दंपति को उचित तरीके से गोद दिया जाए.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही छात्रा बच्चे को जन्म देने को तैयार हुई थी. पिछली सुनवाइयों में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा था कि वो पीड़ित किशोरी से बात कर उसे सलाह और हौसला दें.