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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे संक्रमित हुए तो क्या करेंगे? SC ने सरकार से पूछा इमरजेंसी प्लान

सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिंता व्यक्त की और उसको लेकर अभी से तैयारियां करने पर ज़ोर दिया. अदालत ने सवाल किया है कि अगर बच्चों पर तीसरी लहर में असर होता है, तो क्या तैयारी है. टीकाकरण में उनके बारे में सोचना होगा.

कोरोना की तीसरी लहर पर अदालत ने जताई चिंता (फाइल) कोरोना की तीसरी लहर पर अदालत ने जताई चिंता (फाइल)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2021,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST
  • कोरोना संकट पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई
  • अदालत ने कोरोना की तीसरी लहर पर चिंता जताई

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक बार फिर दिल्ली के ऑक्सीजन संकट और कोरोना के हालात पर सुनवाई हुई. सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिंता व्यक्त की और उसको लेकर अभी से तैयारियां करने पर ज़ोर दिया. 

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कल को हालात बिगड़ते हैं और कोरोना के मामले बढ़ते हैं, तो आप क्या करेंगे. रिपोर्ट्स कहती हैं कि तीसरी लहर में बच्चों पर भी प्रभाव पड़ सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीसरी लहर में क्या करना चाहिए उसकी तैयारी अभी करनी होगी, युवाओं का वैक्सीनेशन करना होगा, अगर बच्चों पर असर बढ़ता है तो कैसे संभालेंगे क्योंकि बच्चे तो अस्पताल खुद नहीं जा सकते. 

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SC ने कहा- ऑक्सीजन की जरूरत पर पूरे देश का सोचें, फॉर्मूला सुधारने की जरूरत

 

डॉक्टरों को लेकर भी करनी होगी तैयारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज करीब डेढ़ लाख ऐसे डॉक्टर्स हैं, जो एग्जाम की तैयारी में हैं. करीब ढाई लाख नर्स घरों में बैठी हैं. ये वही लोग हैं जो तीसरी लहर के वक्त आपके इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि स्वास्थ्यकर्मी मार्च 2020 से लगातार काम कर रहे हैं, ऐसे में उनपर भी थकान और दबाव ज्यादा है.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीसरी लहर को लेकर टिप्पणी तब आई है, जब देश इस वक्त दूसरी लहर का सामना कर रहा है. जबकि बीते दिन ही केंद्र सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार ने चेतावनी दी थी कि तीसरी लहर का आना निश्चित है, लेकिन वो कब आएगी ये अभी नहीं बता सकते हैं. 

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में मामलों में बढ़ोतरी हुई, मौतों की संख्या बढ़ गई. साथ ही अस्पतालों में बेड्स, ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी और लोगों को इलाज कहीं नहीं मिल रहा था. 

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