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कोरोना की क्या है स्थिति और क्या उठाए कदम? SC ने राज्य-केंद्र से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन लोगों के खिलाफ सख्त और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जो दिशा-निर्देशों और एसओपी का उल्लंघन कर रहे हैं. उल्लंघन करने वाला चाहे कोई भी हो. हर राज्य को सतर्कता से काम करना चाहिए और केंद्र के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST
  • कोरोना महामारी पर सर्वोच्च न्यायालय सख्त
  • एसओपी के उल्लंघन पर हो सख्त कार्रवाई- कोर्ट
  • कहा- नागरिकों का स्वास्थ्य हो पहली प्राथमिकता

कोरोना वायरस की महामारी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हो गया है. सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य और केंद्र सरकार से पूछा कि कोरोना की स्थिति क्या है और क्या कदम उठाए गए. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्यों की सरकार से चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है. कोरोना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई सख्त बातें कही हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिशा-निर्देश और एसओपी जारी होने के बावजूद, क्रियान्वयन में कमी के कारण यह महामारी जंगल में लगी आग की तरह फैल गई. कोर्ट ने कहा कि उन लोगों के खिलाफ सख्त और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जो दिशा-निर्देशों और एसओपी का उल्लंघन कर रहे हैं. उल्लंघन करने वाला चाहे कोई भी हो. हर राज्य को सतर्कता से काम करना चाहिए और केंद्र के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होना चाहिए. नागरिकों को भी अपने कर्तव्य समझने चाहिए और नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. कोर्ट ने साथ ही यह हिदायत भी दी कि कुछ लोग राज्य की ओर से समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देशों/एसओपी का पालन कर मास्क नहीं लगा रहे, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे. ऐसा किए बगैर पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक समारोह में शामिल हो रहे हैं. ऐसे लोग खुद को ही नहीं, दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे लोगों को दूसरों के जीवन के साथ खेलने और दूसरे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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एसओपी लागू कराने में लोगों की मदद जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों और एसओपी को लागू कराने के लिए लोगों की मदद जरूरी है. कई राज्यों में भारी-भरकम जुर्माना वसूला गया है जो यह बताता है कि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अकेले गुजरात राज्य में 80 से 90 करोड़ रुपये वसूले गए हैं. ऐसे मामले में अधिकारियों की ओर से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि समय-समय पर जारी किए गए एसओपी और दिशा-निर्देशों का लोगों की ओर से सख्ती से पालन किया जाता है.

भीड़ वाले इलाकों में हो अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती

सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई को लेकर कहा है कि इसे संबंधित राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह)/ सचिव (गृह) सुनिश्चित करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसओपी और गाइडलाइंस का पालन करवाने के लिए केंद्रीय गृह सचिव राज्यों के गृह सचिव के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि लोग इन निर्देशों का पालन करें. अगर जरूरत पड़े तो स्थानीय पुलिस की भी मदद ली जानी चाहिए. भीड़भाड़ वाले इलाकों में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाए, जिससे वे एसओपी और गाइडलाइंस का पालन करवा सकें.

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सोशल गैदरिंग पर रखी जाए कड़ी निगरानी

कोर्ट ने हिदायत दी है कि ये हमेशा कोशिश की जाए कि सोशल गैदरिंग न हो. अगर कहीं सोशल गैदरिंग की अनुमति दी भी जा रही है तो वहां पर भी कितने लोग मौजूद हैं? इस पर भी कड़ी निगरानी रखी जाए. बड़ी संख्या में लोगों के टेस्ट किए जाएं और टेस्ट के नतीजों को सार्वजनिक किया जाए. इससे लोगों को पता चल सकेगा कि आखिर कोरोना वायरस अभी भी कितना बड़ा खतरा बना हुआ है.

वीकेंड कर्फ्यू पर विचार करें सभी राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश के सभी राज्य रात्रि और वीकेंड कर्फ्यू के बारे में विचार करें. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अगले कुछ महीनों में अलग-अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी बात हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर चुनाव को लेकर कोई कदम उठाने भी हैं तो वहां पर भी केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से कोरोना को ध्यान में रखते हुए जारी किए गए गाइडलाइंस का पालन कराया जाना चाहिए.

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