
बिहार में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. छपरा में हुईं मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें एसआईटी से जांच कराने और पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये केस मेंशनिंग लिस्ट में नहीं है. इस पर तुरंत सुनवाई नहीं की जा सकती है. ये जनहित याचिका प्रॉपर तरीके से दायर करनी होगी. बता दें कि बिहार के छपरा और सीवान जिले में जहरीली शराब पीने से 57 लोगों की मौत हो चुकी है. एक ओर बिहार में इसको लेकर बीजेपी नीतीश सरकार पर हमलावर है तो दूसरी ओर पीआईएल दायर कर इस मामले की एसआईटी जांच कराने की अपील की गई थी.
बिहार में जहरीली शराब से अबतक 57 की मौत
बिहार के दो जिलों सारण और सीवान में अब तक कुल 57 लोगों की मौत हो गई है. सारण के जहां मशरक और इसुआपुर में तो सीवान के भगवानपुर में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत की खबर सामने आई है. भले ही सीवान का ये इलाका मशरक के पास हैं, लेकिन अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि दोनों जगहों पर मृतकों ने एक ही जगह से शराब लाकर पी या अलग अलग जगह से.
शराब से मौत पर नहीं मिलेगा मुआवजा: नीतीश
वहीं बिहार विधानसभा में बोलते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि शराब से मौत होने पर किसी को भी मुआवजा नहीं दिया जाएगा. नीतीश ने एक बार फिर कहा कि शराब पियोगे तो मरोगे. उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रपिता बापू के दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं. दूसरे राज्यों में जहरीली शराब पीने से मौत हो रही हैं. बीजेपी ने शराबबंदी का समर्थन किया था.
किसी भी धर्म में शराब पीना अच्छी बात नहीं: नीतीश
इस दौरान सीएम नीतीश ने कहा कि किसी भी धर्म में शराब पीना अच्छी बात नहीं है. बिहार में गरीबों के उत्थान के लिए काम हो रहा है. पहले गरीब आदमी दारू पीकर आकर घर में झगड़ा करता था, लेकिन शराब बंद होने के बाद ये सब बहुत कम हो गया है. उन्होंने कहा कि हम गरीबों को काम करने के लिए एक लाख रुपये दे रहे हैं कि भाई अपना काम करो, लेकिन लोग शराब पी रहे हैं. शराबबंदी कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन फालतू की बातें हो रही हैं.