
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के नए कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए एक कमेटी का गठन कर दिया है. इस कमेटी में किसान नेता भूपिंदर सिंह मान, कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि विशेषज्ञ डॉ. अशोक गुलाटी और महाराष्ट्र के किसान नेता अनिल घनवंत शामिल हैं. यह कमेटी नए कृषि कानूनों पर किसानों की शिकायतों और सरकार का राय जानेगी और उसी आधार पर अपनी सिफारिशें देगी. हालांकि, कमेटी में शामिल लोगों को लेकर ही सवाल खड़े होने लगे हैं, इन्हें सरकार के लोग बताकर संबोधित किया जा रहा है.
कमेटी पर उठ रहे सवालों के बीच शतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवंत ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने का फैसला किया है, किसानों का आंदोलन पिछले 50 दिनों से जारी है और इस दौरान कई किसान शहीद हुए हैं. लेकिन इस आंदोलन को कहीं तो रुकना चाहिए और किसानों के हित में कानून बनाना चाहिए. 'आजतक' से बातचीत में किसान नेता ने कहा कि अगर नए कृषि कानून किसानों को मंजूर नहीं है तो सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए.
अनिल घनवंत ने कहा कि ये आंदोलन कहीं तो रुकना चाहिए और किसानों के हित में एक क़ानून बनना चाहिए. कानूनों को रद्द करने की बजाय उनमें संशोधन होना चाहिए. आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ कार्य करके अपनी बात रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले किसानों का कहना सुनना पड़ेगा, अगर उनकी कोई गलतफहमी है तो वो दूर करेंगे. किसानों को विश्वास दिलाना पड़ेगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और APMC कायम रहेगा. जो कुछ भी होगा वो पूरे देश के किसानों के हित में होगा.
निजी कुछ नहीं- अनिल घनवंत
अनिल घनवंत ने कहा कि 4 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं. इन समस्याओं से बाहर निकलना है तो कुछ तो हल निकालना होगा, कुछ तो कानून बनाना पड़ेगा. अगर ये कानून मंजूर नहीं तो उसमें सुधार की आवश्यकता है. कमेटी सबकी राय लेगी और फिर उसे रिपोर्ट के रूप में पेश किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट जो निर्देश देगा उसी के दायरे में रहकर जमीनी हकीकत जानी जाएगा यहां निजी कुछ नहीं है. फिर सरकार तय करेगी कि आगे क्या करना है?
किसानों के संदेह के सवाल पर अनिल घनवंत ने कहा कि मैंने तीनों कानूनों का समर्थन नहीं किया है. इन कानूनों का हमने समर्थन नहीं किया है. कानून को लेकर हमने कई ऑब्जेक्शन किए थे. उन्होंने कहा कि हमारा संगठन पिछले 40 साल से लड़ रहा है. उसे आजादी चाहिए, उसे व्यापार की आजादी चाहिए, उसे टेक्नोलॉजी की आजादी चाहिए. सरकार ने जो कदम उठाएं वो किसानों के पांव की बेड़ियां तोड़ने की कोशिश की है.
इस सवाल पर कि कमेटी में शामिल किए जाने के लिए आपका नाम किसने भेजा? अनिल घनवंत ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. वह सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के मुताबिक काम करेंगे. इसमें उनका निजी कुछ नहीं होगा. वो अपनी राय को किनारे रखकर काम करेंगे, अपनी विचारधारा किनारे रख कर काम करेंगे. हम किसानों और अन्य से बात करेंगे. हमारी पूर्व की सोच क्या रही है, वो कोई मायने नहीं रखती है.
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अनिल घनवंत ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हमारे पास नहीं आ जाती हैं तब तक हम काम शुरू नहीं कर सकते हैं. गाइडलाइंस आने के बाद हम सब किसान नेताओं से मिलकर उनकी राय जानेंगे कि उनको क्या चाहिए और वो कैसे किया जा सकता है. गौरतलब है कि कमेटी में शामिल सदस्यों पर ये कहकर सवाल उठाए गए हैं कि ये लोग पहले ही कृषि कानूनों के समर्थन कर चुके हैं, ऐसे में कमेटी के सदस्य होने के नेता इनसे किसानों के हक की बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है.