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SC: राजद्रोह कानून पर फैसला कोर्ट ने दिया लेकिन बीजेपी-कांग्रेस ले रहे क्रेडिट, जानिए किसने क्या कहा? 

देश में 2014 से 2019 के दौरान धारा 124 ए के तहत राजद्रोह के 326 केस दर्ज किए गए थे. इस संबंध में 559 लोग गिरफ्तार किए गए थे वहीं 141 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी लेकिन इन 6 सालों में अदालत ने सिर्फ 6 आरोपियों को ही दोषी माना था.

2014 से 2020 तक 519 देशद्रोह के केस दर्ज हुए (फाइल फोटो) 2014 से 2020 तक 519 देशद्रोह के केस दर्ज हुए (फाइल फोटो)
संजय शर्मा/अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST
  • 2010 से 2014 के दौरान हर साल औसतन 62 केस दर्ज हुए
  • 2014 से 2020 के दौरान हर साल औसतन 80 केस दर्ज हुए

सुप्रीम कोर्ट के 72 साल के इतिहास में अबतक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि सुनवाई के दौरान किसी कानून के इस्तेमाल को कोर्ट ने अपने एक आदेश से होल्ड कर दिया हो. सरकारों पर आरोप लगते आए हैं कि राजद्रोह का उपयोग सियासी औजार के रूप में किया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि राजद्रोह कानून की धारा के तहत संज्ञेय अपराध को दर्ज करने से रोका नहीं जा सकता है लेकिन सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून को होल्ड पर डाल दिया. इस फैसले को लेकर अब बीजेपी और कांग्रेस ने फैसले का क्रेडिट लेते हुए एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है.

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फैसला पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक: बीजेपी

केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बताता है कि यह पीएम नरेंद्र मोदी का मास्टरस्ट्रोक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो ऑर्डर सुनाया है उसका आधार केंद्र सरकार का वही हलफनामा है, जिसमें यह रिकॉर्ड रखा है कि महाराष्ट्र में राजद्रोह कानून का दुरुपयोग करते हुए सांसद नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा को जेल भेज दिया गया. 

2019 में कानून खत्म करने का कांग्रेस का रास्ता सही था

वहीं कांग्रेस नेता रणदीव सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस 2019 में खत्म करना चाहती थी. सुप्रीम कोर्ट ने साबित कर दिया कि हमारा रास्ता सही है. लोगों की आवाज उठती रहेगी. यही आंदोलन की परिपाटी है.

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किसी को पार नहीं करनी चाहिए लक्ष्मण रेखा

वहीं केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कोर्ट के आदेश पर बड़ा बयान दिया है. ट्वीट में रिजिजू ने लिखा है कि हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं. कोर्ट को सरकार का सम्मान करना चाहिए, सरकार को कोर्ट का सम्मान करना चाहिए. हम दोनों की ही सीमाएं स्पष्ट हैं, ऐसे में किसी को भी लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करना चाहिए.

रिजिजू के बयान पर टीएमसी सांसद का पलटवार

टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि केंद्र राजद्रोह कानून पर चर्चा तक नहीं करना चाहता था, अब वह विचार कर रहे हैं. किरण रिजिजू को कुछ नहीं पता. उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वह क्या टिप्पणी कर रहे हैं. वह नए मंत्री हैं. वह SC के बारे में ऐसी टिप्पणी के परिणाम के बारे में नहीं जानते हैं.

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सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं: राहुल

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं. सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं. सच सुनना राजधर्म है. सच कुचलना राजहठ है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जिसमें पत्रकारों, सोशल एक्टविस्ट्स और विपक्ष के नेताओं पर राजद्रोह की धारा लगा दी गई और बाद में अदालत ने वो केस रद्द कर दिए. राजद्रोह कानून के इस लापरवाही से इस्तेमाल की सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार आलोचना कर चुका था लेकिन अब उसने विवादित राजद्रोह कानून के खात्मे का रास्ता खोल दिया है.

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खुले तौर पर हो रहा है कानून का दुरुपयोग

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद के युग के इस कानून के खुले तौर पर दुरुपयोग का तथ्य एक वास्तविकता है, इसलिए एकमात्र तरीका यही है कि जब तक सरकार समीक्षा प्रक्रिया पूरी नहीं करती तब तक कानून का इस्तेमाल रोक दिया जाए. 

10 साल में 11 हजार लोगों पर लगा देशद्रोह

जानकारी के मुताबिक 2010 से 2020 के बीच करीब 11 हजार लोगों के खिलाफ देशद्रोह के 816 केस दर्ज किए गए. इनमें सबसे ज्यादा 405 भारतीयों के खिलाफ नेताओं और सरकारों की आलोचना करने पर राजद्रोह के आरोप लगे हैं. यूपीए-2 सरकार की तुलना में एनडीए सरकार के कार्यकाल में हर साल राजद्रोह के मामलों में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. धारा 124 ए का सबसे ज्यादा इस्तेमाल आंदोलनों को दबाने में किया गया.

 

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