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केरल में आवारा कुत्तों पर 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट देगा अंतरिम आदेश

केरल में आवारा कुत्तों से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब 28 सितंबर को सुनवाई करेगा. इसी दिन शीर्ष अदालत इस मामले में निर्देश और अंतरिम आदेश देगी. कोर्ट ने कुत्तों के हमले की घटना पर टिप्पणी करते हुए राज्य से समाधान निकालने के लिए कहा.

सांकेतिक फोटो सांकेतिक फोटो
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर को केरल के आवारा कुत्तों के मामले पर निर्देश और अंतरिम आदेश देगा. अदालत ने इसके लिए पक्षकारों से संक्षिप्त में जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कुत्तों के हमले की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए राज्य से समाधान निकालने के लिए कहा. 

शीर्ष अदालत की बेंच ने सुझाव दिया कि रेबीज संक्रमित कुत्तों या क्रूर कुत्तों को अलग-अलग जगह पर रखा जा सकता है. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ये इतना भी आसान नहीं होगा. कई आपत्तियां होंगी. रेबीज से संक्रमित या क्रूर कुत्ते जिन्होंने किसी को काटा हो, उन्हें स्थानीय डे केयर सेंटर में रख सकते हैं.  
उन्होंने कहा कि आप सड़क पर चलने वाले व्यक्ति को कुत्ते द्वार काटने के लिए नहीं कह सकते, यह स्वीकार्य नहीं है. हमें स्वीकार करना होगा कि ये एक समस्या है. उसके बाद कोर्ट ने वैधानिक और अन्य चीजों को रिकॉर्ड में रखने के लिए और अदालत को सटीक स्थिति से अवगत कराने के लिए और समय मांगा. बेंच ने 28 सितंबर को अंतरिम आदेश और निर्देश के लिए मामला सूचीबद्ध किया. पक्षकारों को अंतरिम आदेशों के संबंध में सारांश दाखिल करने की स्वतंत्रता है. 

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बीते 5 साल में 10 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा 

इस याचिका में केरल में हाल ही में 12 साल की बच्ची को कुत्ते के काटने की घटना का भी जिक्र किया गया है. जबकि कुत्ते को एंटी रेबीज वैक्सीन लगी हुई थी. वकील ने कहा कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में कुत्तों के काटने से जुड़ीं शिकायतों से निपटने और पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. वकील वीके बीजू ने कोर्ट में बताया कि पिछले 5 साल में 10 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा है.  

2016 में आयोग ने पेश की थी रिपोर्ट 

उन्होंने कोर्ट में कहा कि मजदूर, स्कूल जाते बच्चे, महिलाओं पर कुत्ते हमला कर रहे हैं. यह गंभीर मुद्दा है. खासकर गरीब तबके के लोगों को प्रभावित कर रहा है. 2016 में, न्यायमूर्ति सिरी जगन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की थी, इसमें कहा गया था कि आवारा कुत्तों की आबादी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए "बहुत गंभीर खतरा" बनी रहेगी, जब तक कि इसे प्रबंधनीय स्तर तक नहीं लाया जाता.  

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