
राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप चंदा देने की अनुमति देने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड या चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले साल 31 अक्तूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी. कोर्ट ने तीन दिन लगातार इस मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की. इस संविधान पीठ में सीजेआई के साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा थे.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से दलीलें दी गईं. कोर्ट ने 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक सभी पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना के साथ एक दिक्कत ये है कि यह चयनात्मक गुमनामी और चयनात्मक गोपनीयता प्रदान करती है. इसकी जानकारी स्टेट बैंक के पास उपलब्ध रहती है और उन तक कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी पहुंच सकती हैं.
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि इस योजना के साथ ऐसी परेशानियां रहेंगी. यह सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मुहैया नहीं कराएगी. इससे योजना को लेकर अस्पष्टता की स्थिति बनी रहेगी. कोर्ट ने यह भी कहा था कि योजना का मकसद काले धन को समाप्त करने का बताया गया है. कोर्ट ने कहा था कि यह प्रशंसनीय भी है, लेकिन सवाल ये भी है कि क्या इससे 100% मकसद पूरा हो रहा है?
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से कहा गया था कि चुनावी बॉन्ड योजना ये सुनिश्चित करने का एक उचित तरीका है कि धन का उपयोग उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग के लिए किया जाए और तर्क दिया कि दानदाताओं की पहचान गोपनीय रखना जरूरी है, ताकि उन्हें राजनीतिक दल के किसी प्रतिशोध का सामना न करना पड़े.
क्या है चुनावी बॉन्ड योजना?
साल 2018 में सरकार द्वारा अधिसूचित इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पॉलिटिकल फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था. केवल वे राजनीतिक दल ही इन्हें प्राप्त कर सकते हैं, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड हैं और जिन्हें पिछले लोकसभा या राज्य चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट मिले हों. चुनावी बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलते हैं. एसबीआई की जिन 29 शाखाओं से इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे जा सकते हैं, वे नई दिल्ली, गांधीनगर, चंडीगढ़, बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कलकत्ता और गुवाहाटी समेत कई शहर में हैं.
कौन खरीद सकता है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड को भारत का कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था खरीद सकती है. ये बॉन्ड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ रुपये तक के हो सकते हैं. देश का कोई भी नागरिक या कंपनी किसी भी राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहते हैं तो उन्हें एसबीआई से चुनावी बॉन्ड खरीदने होंगे. वे बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को दे सकेंगे. चुनावी बॉन्ड में डोनर का नाम नहीं होता. इस बॉन्ड को खरीदकर आप जिस पार्टी को चंदा देना चाहते हैं, इस पर उसका नाम लिखते हैं. इस बॉन्ड को आप बैंक को वापस कर सकते हैं और अपना पैसा वापस ले सकते हैं, लेकिन उसकी एक समय सीमा तय होती है.