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गोधरा कांड के दोषी को 17 साल बाद SC से जमानत, जलती ट्रेन से लोगों को उतरने से रोका था

27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी गई थी. दोषी फारूक पर पत्थरबाजी और हत्या करने का मामला साबित हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी फारूक 2004 से जेल में है. वो पिछले 17 साल जेल में रह चुका है. लिहाजा उसे जेल से जमानत पर रिहा किया जाए.

2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा दी गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हुई थी. 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा दी गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हुई थी.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

2002 गोधरा में ट्रेन जलाकर 59 लोगों की हत्या करने के मामले में एक दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. दोषी फारूक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. वह पिछले 17 साल से जेल में बंद है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद फारुक को जमानत दी है. फारूक जलती ट्रेन पर पत्थरबाजी करने का दोषी पाया गया था. फारूक ने ट्रेन पर इसलिए पत्थरबाजी की थी, ताकि जलती ट्रेन से लोग उतर न पाएं और उनकी मौत हो जाए. 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी फारूक 2004 से जेल में है. वो पिछले 17 साल जेल में रह चुका है. लिहाजा उसे जेल से जमानत पर रिहा किया जाए. सुप्रीम कोर्ट इसी मामले में बाकी बचे 17 दोषियों की अपीलों पर क्रिसमस की छुट्टियों के बाद जनवरी में सुनवाई करेगा. 

2002 में साबरमती एक्सप्रेस में लगा दी गई थी आग

27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी गई थी. इस घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी. इसी के बाद गुजरात में 2002 के दंगे हुए थे.

किस मामले में दोषी है फारूक

सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहाई का आदेश पाने वाले दोषी फारूक पर पत्थरबाजी और हत्या करने का मामला साबित हुआ था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान फारूक की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उस पर  महज पत्थरबाजी का आरोप नहीं था, बल्कि ये जघन्य अपराध था. क्योंकि भीषण पथराव कर जलती ट्रेन से लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया गया. 

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पिछली सुनवाई में भी गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की जमानत का विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट में तब भी गुजरात सरकार ने पत्थरबाजों की भूमिका को गंभीर बताया था, क्योंकि उसी वजह से जलती ट्रेन से झुलसते हुए यात्री निकल नहीं पाए और जल कर मारे गए. 

पत्थरबाजों की मंशा यह थी कि साबरमती एक्सप्रेस की उस जलती बोगी से कोई भी यात्री बाहर न निकल सकेऔर बाहर से भी कोई शख्स उन्हें बचाने के लिए अंदर न जा पाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस जघन्य अपराध में शामिल इन सभी दोषियों में से कई पत्थरबाज भी थे. वे जेल में लंबा समय काट चुके हैं. लिहाजा ऐसे में कुछ को जमानत पर छोड़ा जा सकता है. 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि वह हर दोषी की भूमिका की जांच करेंगे. सरकार ये भी देखेगी कि इस परिस्थिति में क्या कुछ लोगों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से 15 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था. 

 

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